महाराष्ट्र: यह कहानी है बंदिशें तोड़कर आजाद हो जाने की.. यह कहानी है फलक पर रौशन हो जाने की. महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले की रहने वाली हसीना फारस नाम की एक मुस्लिम महिला ने जो हिम्मत और ताकत दिखाई वह देश की आधी आबादी के लिए एक मिसाल है. पिछले साल कोल्हापुर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के चुनाव में हसीना हिस्सा लेना चाहती थीं. लेकिन कुछ मुस्लिम रूढ़िवादी ताकतों ने उन्हें ऐसा नहीं करने की धमकी दी. यहां तक की मजलिस-ए-शूरा-उलेमा-ए-शहर ने यह फतवा जारी किया कि कोई भी मुस्लिम औरत चुनाव नहीं लड़ सकती.
लेकिन इन ताकतों की परवाह किए बगैर मुस्लिम महिलाओं ने अपने दिल की सुनी और फतवे की अनदेखी करते हुए 19 औरतों ने चुनाव में हिस्सा लिया, जिनमें से फासर भी एक थीं. चुनाव नतीजों में इन औरतों को निगम का पार्षद चुना गया. लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई. आज के मौजूदा वक्त में 61 साल की फारस को कोल्हापुर जिले का मेयर चुना गया है और इस कुर्सी को हासिल करने वाली फारस पहली महिला हैं. फारस के परिवार वाले एनसीपी के साथ सियासी ताल्लुकात रहे हैं.
इस पूरे मामले का जिक्र करते हुए फारस ने कहा कि धार्मिक रुढ़िवादी ताकतों ने रोकने की बहुत कोशिशें की लेकिन परिवार से मिले सपोर्ट ने मुझे इन सब से लड़ने की ताकत दी. अंग्रजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत के दौरान फारस ने कहा कि फतवा लोकतांत्रिक मुल्यों के खिलाफ है. हमने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और हम चुनाव लड़े. समाज बदल रहा है और हमें इस बदलाव को स्वीकार करना चाहिए. फारस ने आगे कहा कि मुस्लिम महिलाएं भी हर क्षेत्र में हिस्सा ले रहीं हैं और भविष्य में अगर किसी के खिलाफ इस तरह का फतवा जारी किया जाएगा तो मैं उनका साथ दूंगी.
नगर निकाय में महिलाओं को 50 प्रतिशत का आरक्षण हैं और कोल्हापुल म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के कुल 81 सदस्यों में से 42 महिलाएं हैं.