Farm Laws Repeal Bill: संसद से कृषि कानूनों की वापसी के बाद किसान मोर्चा ने MSP कानून की मांग तेज की, भावी रणनीति के लिए बुलाई बैठक
Farm Laws Repeal Bill: किसान मोर्चा ने कहा कि किसानों के खिलाफ मुकदमे वापस लिये जाने चाहिए, MSP के लिए कानूनी गारंटी दी जाए, मांगों का जवाब देने के लिए केंद्र को 30 नवंबर तक का समय दिया गया है.
Farmer Leaders on Farm Laws Repeal Bill: संसद से कृषि कानून वापसी के साथ ही साल भर से जारी किसान आंदोलन ने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है. अब किसान संगठन आंदोलन जारी रखने या घर वापस जाने के विकल्पों पर मंथन कर रहे हैं. राकेश टिकैत जैसे बड़े किसान नेता एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाए जाने की अहम मांग पूरी होने तक आंदोलन जारी रखने की बात कह रहे हैं. आगे की रणनीति तय करने के लिए 1 दिसम्बर को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की महत्वपूर्ण बैठक होगी.
संसद में कानून वापसी के बीच सिंघु बॉर्डर पर सोमवार को पंजाब के 32 किसान संगठनों की बैठक हुई. सूत्रों के मुताबिक पंजाब के कुछ किसान संगठन चाहते हैं कि कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब आंदोलन खत्म करना चाहिए. वहीं कुछ संगठन एमएसपी कानून समेत अन्य बाकी मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रखने के पक्ष में हैं. आम राय बनाने की कवायद जारी है.
संयुक्त किसान मोर्चा एमएसपी पर कानून के अलावा आंदोलन के दौरान मृत किसानों के परिजनों को मुआवजा और स्मारक बनाने की जगह, प्रदर्शनकारियों पर हुए मुकदमे वापस लेने, बिजली संशोधन बिल वापस लेने और लखीमपुर खीरी कांड के मुख्य आरोपी के पिता अजय मिश्रा को केंद्रीय गृहराज्य मंत्री पद से हटाने और उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहा है. इन मांगों को लेकर मोर्चा प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिख चुका है.
दस दिन पहले कृषि कानून वापसी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के एलान के बाद ही आंदोलन की जीत हो गई थी, लेकिन तब किसानों ने संसद से वापसी की प्रक्रिया पूरी होने तक इंतजार करने की बात कही थी. लेकिन आज कृषि कानूनों को वापस लेने का बिल संसद से पारित होने के बावजूद आंदोलन के मोर्चों पर बड़ा जश्न नजर नहीं आया. इसकी एक वजह तो यह है कि साल भर में आंदोलन के दौरान दिल्ली की सीमाओं पर करीब 700 किसानों का निधन हुआ. वहीं बड़ी वजह यह है कि एमएसपी कानून की मांग अभी पूरी नहीं हुई है. कृषि कानून वापसी के एलान के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी एमएसपी कानून के लिए कमिटी बनाने की बात कह चुके हैं लेकिन एलान भर से किसान संगठन मनाने को तैयार नहीं हैं.
कुल मिलाकर भले ही किसान आंदोलन के सामने झुकते हुए मोदी सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने का बिल संसद से पारित कर दिया लेकिन इसके बावजूद यह साफ नहीं है कि किसान अपना आंदोलन कब खत्म करेंगे? बीते एक साल से दिल्ली की तीन सीमाओं सिंघु, टिकरी और गाजीपुर पर बड़ी संख्या में किसान जमे हैं जिसकी वजह से इन इलाकों के रास्ते काफी हद तक बंद हैं और आम जनजीवन प्रभावित है. कानून वापसी के बाद आम लोग भी किसानों के सड़कों से हटने का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि उम्मीद करनी चाहिए कि आगे का रास्ता समाधान की तरफ ही जाता है.