Farmers Protest: कृषि कानून वापसी के बाद दो गुट में बंटे किसान, पंजाब और पंजाब के बाहर के संगठनों के बीच मतभेद
Punjab Farmers: MSP कानून कमिटी और मुकदमों की वापसी से पहले धरना खत्म होना मुश्किल है. केंद्र सरकार पर निर्भर करता है कि वह कितनी जल्दी एमएसपी कमिटी और मुदकमा वापसी पर कार्रवाई करती है.
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Farm Laws Repealed: कृषि कानूनों की वापसी के बाद किसान दो गुट में बंटता दिख रहा है. आंदोलन खत्म करने या न करने को लेकर अंतिम फैसला संयुक्त किसान मोर्चा को करना है. आंदोलन खत्म करने को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा चार दिसंबर को अहम बैठक में आखिरी फैसला लेगा. हालंकि संयुक्त किसान मोर्चा एकजुटता का दावा कर रहा है लेकिन कृषि कानूनों की वापसी के बाद बीते दिनों में पंजाब के संगठन और पंजाब के बाहर के संगठनों में मतभेद उभरे हैं.
- पंजाब के 32 संगठनों ने बैठक कर घर वापसी का फैसला किया और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 1 दिसंबर को 40 संगठनों की बैठक बुलाने का एलान किया.
- घर वापसी की मुहिम से संयुक्त किसान मोर्चा असहमत था. मतभेद के बाद पंजाब के बाहर के नेताओं ने आज वाली बैठक से किनारा कर लिया और बैठक रद्द हो गई अब पहले से तय कार्यक्रम के तहत 4 दिसंबर को ही संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी.
- MSP कमिटी को लेकर सरकार पंजाब के संगठनों से अनौपचारिक बातचीत कर रही है. पंजाब के संगठन नामों पर चर्चा भी कर रहे हैं जबकि संयुक्त किसान मोर्चा लिखित सूचना नहीं होने की बात कह रहा है. संयुक्त किसान मोर्चा चाहता है कि सरकार एमएसपी कमिटी को लेकर स्पष्ट रूप से सामने आए. वजह यह भी है कि पंजाब के संगठन कमिटी के एलान के बाद वापसी के पक्ष में हैं जबकि टिकैत कानून बनने तक धरने की बात कह रहे हैं.
- मुकदमों की वापसी को लेकर भी कन्फ्यूजन है. पंजाब के कुछ नेताओं से हरियाणा सरकार ने संपर्क किया और आज बैठक के लिए बुलाया लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा समेत हरियाणा के नेता गुरनाम चढूनी को इसकी कोई सूचना नहीं है.
कुल मिलाकर कहें तो MSP कानून कमिटी और मुकदमों की वापसी से पहले धरना खत्म होना मुश्किल है. संयुक्त किसान मोर्चा के उच्च सूत्रों के मुताबिक अंदरखाने राय यह है कि अभी जल्दबाजी भी ठीक नहीं और एमएसपी कानून बनने तक धरने पर बैठे रहना भी ठीक नहीं. अब केंद्र सरकार पर निर्भर करता है कि वह कितनी जल्दी एमएसपी कमिटी और मुदकमा वापसी पर कार्रवाई करती है.
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