किसान आंदोलन: कौन हैं वह 4 लोग जिनको सुप्रीम कोर्ट ने शामिल किया है कमेटी में?
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के भूपिंदर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अनिल घनवट और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और डा प्रमोद जोशी को शामिल किया गया है.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच गतिरोध खत्म नहीं होता देख सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम आदेश जारी किया है. इस अंतरिम आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने जहां तीनों कृषि कानूनों के अमल पर फौरी रोक लगाई है तो वहीं 4 सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया है. इस कमेटी के चारों सदस्यों के नाम भी सामने आ गए हैं.
इस कमेटी में भूपिंदर सिंह मान (अध्यक्ष बेकीयू), डॉ प्रमोद कुमार जोशी (अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान), अशोक गुलाटी (कृषि अर्थशास्त्री) और अनिल घनवट (शिवकेरी संगठन, महाराष्ट्र) का नाम शामिल है.
सुप्रीम कोर्ट ने जिन चार लोगों को कमेटी का हिस्सा बनाया है आखिर यह चारों कौन हैं? जानें-
अशोक गुलाटी ( कृषि अर्थशास्त्री): अशोक गुलाटी की उम्र 66 साल की है और वह कृषि अर्थशास्त्री के तौर पर जाने जाते हैं. अशोक गुलाटी को साल 2015 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के द्वारा पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा जा चुका है. अशोक गुलाटी कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कोर्स एंड प्राइसेज यानी सीएसीपी के पूर्व चेयरमैन भी रह चुके हैं. अपने इस कार्यकाल के दौरान अशोक गुलाटी ने 17 रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार को सौंपी थी. अशोक गुलाटी लगातार मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की भी वकालत करते रहे हैं. अशोक गुलाटी साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नीति आयोग के तहत बनाई गई कृषि टास्क फोर्स का सदस्य भी रह चुके हैंं. अशोक गुलाटी इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के कामकाज में सुधार को लेकर जो कमेटी बनाई गई है उसके भी सदस्य रहे हैं.
प्रमोद जोशी (अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान): उत्तराखंड के अल्मोड़ा में जन्मे डॉ.प्रमोद जोशी जाने माने कृषि विशेषज्ञ हैं. वह कई नामी-गिरामी संस्थानों में विशेषज्ञ पदों पर रह चुके हैं. डॉ. प्रमोद जोशी साउथ एशिया इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर हैं. वे नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च मैनेजमेंट हैदराबाद के भी डायरेक्टर रह चुके हैं. डॉ. जोशी नेशनल सेंटर फॉर एग्रीकल्चर इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी रिसर्च नई दिल्ली में भी डायरेक्टर रह चुके हैं. इससे पहले वो इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट में साउथ एशिया कोऑर्डिनेटर थे. एग्रीकल्चर सेक्टर में काम करने के लिए उन्हें कई अवॉर्ड मिल चुके हैं. डॉ जोशी नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज और इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रीकल्चरल इकोनॉमिक्स से भी जुड़े हुए हैं. डॉ. प्रमोद जोशी नेशनल सेंटर फॉर एग्रीकल्चर इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी रिसर्च नई दिल्ली के डायरेक्टर भी रह चुके हैं.
भूपिंदर सिंह मान (किसान नेता, अध्यक्ष बेकीयू): किसान नेता भूपिंदर सिंह मान की उम्र 81 साल की है. किसानों के लिए किए जाने वाले काम को देखते हुए साल 1990 में राष्ट्रपति द्वारा उनको राज्यसभा के लिए भी नामित किया जा चुका है. भूपिंदर सिंह मान भारतीय किसान यूनियन के फाउंडर मेंबर में से एक है फिलहाल भूपिंदर सिंह मान भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और इसके साथ ही वो किसान कोआर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन भी है.
अनिल घनवत (किसान नेता, शिवकेरी संगठन, महाराष्ट्र ): अनिल घनवत महाराष्ट्र के बड़े किसान संगठन शेतकारी संगठन के अध्यक्ष हैं. शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल धनवत के इस संगठन के साथ लाखों किसान जुड़े हुए हैं. इस संगठन का महाराष्ट्र के किसानों पर बड़ा असर माना जाता है. अनिल घनवत सालों से कृषि कानूनों में सुधार की बात करते रहे हैं. मौजूदा कृषि कानूनों को लेकर भी अनिल घनवत ने इन कानूनों का यह कहते हुए समर्थन किया था कि इन कृषि कानूनों का सिरे से विरोध नहीं किया जा सकता और इसी आधार पर इन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए उठ रही मांगों को गलत ठहराया था.
हालांकि इन चारों नामों को लेकर किसान संगठन और आंदोलनकारी किसान अपना अपना एतराज भी दर्ज करवा रहे हैं. किसान संगठनों और किसान आंदोलनकारियों का कहना है कि यह चारों वो नाम है जो सरकार के मौजूदा कृषि कानून का समर्थन कर चुके हैं. इसी आधार पर किसान नेता और आंदोलनकारी इस कमेटी की मदद से गतिरोध खत्म होने की संभावनाओं पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं.
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