नई दिल्ली: मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में किसान फसल की सही कीमत और कर्जमाफी की मांग कर रहे हैं. किसान आंदोलन का ही असर है कि महाराष्ट्र सरकार को किसानों के आगे झुकना पड़ा.
महाराष्ट्र के नासिक में ही खेती करने वाले कैलाश का कहना है कि कर्जमाफी एक ऐसा चक्र है जिसमें घुसने के बाद किसान का बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है, इसलिए सरकार को कर्जमाफी के बजाय किसानों की असल समस्या पर ध्यान देना चाहिए. कर्जमाफी से किसान को भी सिर्फ फौरी तौर पर ही राहत मिलती है और इससे सरकार की आर्थिक हालत बिगड़ती है.
कर्जमाफी नहीं तो फिर क्या करे सरकार ?
-किसानों को हर हाल में उनकी फसल का सही दाम मिलना शुरू हो
-फसल की लागत में 50 फीसदी मुनाफा जोड़कर समर्थन मूल्य तय हो
-उपज को बेचने में बिचौलियों की भूमिका खत्म हो
-कम लागत में अधिक फसल उत्पादन की तकनीक विकसित हो
-बुवाई के समय किसानों को जरूरी मदद मिले
दरअसल किसानों की असली समस्या तब शुरू होती है जब उसे अपनी फसल औने पौने दाम पर बेचनी पड़ती है. ऐसी स्थिति में किसान के पास अगली फसल की बुवाई के लिए पैसा नहीं होता औऱ उसे या तो साहूकारों या बैंकों से कर्ज लेना पड़ता है. यानी अगर दूसरे धंधों की तरह किसान को अपनी फसल की कीमत और मुनाफा मिलने लगे तो न कर्ज की जरूरत होगी और न कर्जमाफी की.