(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
'सरकार हमें रास्ता दे, हिंसक रास्ते से बचने की करेंगे कोशिश', बोले किसान नेता सरवन सिंह
Farmers Protest 2.0: अपनी मांगों को लेकर दिल्ली आ रहे किसान बेरिकेटिंग हटाते हुए दिखाई दिए. इस आंदोलन के अगुवा के तौर पर किसान नेता सरवन सिंह का नाम सामने आ रहा है.
Kisan Andolan 2.0: पंजाब से हजारों किसान अपनी मांग पूरी न होने को लेकर दिल्ली में कूच करने की कोशिश कर रहे हैं. ये किसान केंद्र सरकार से नाराज बताए जा रहे हैं. किसान आंदोलन के दूसरे दौर का आज बुधवार (14 फरवरी) को दूसरा दिन है. मामले पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने अपनी बात रखी.
उन्होंने कहा, "किसानों को अपनी बात रखने देना चाहिए. लोकल लोगों का हम लोगों को बहुत सपोर्ट है. हम लोगों का प्रर्दशन आगे भी जारी रहेगा. सरकार हमें रास्ता दे. हम लोग कोशिश करेंगें कि हिंसक रास्ते से बचा जाए. हमारे पीछे कोई नहीं है. किसान हम लोगों की बात मानें."
किसान नेता ने आगे कहा, "हमने पूरी कोशिश की कि कोई न कोई इस तरह का निर्णय हो जाए जिससे कि हम सरकार के साथ टकराव के साथ बच जाएं लेकिन ऐसी स्थिति नहीं बन पाई. हरियाणा के किसानों को डराया जा रहा है. अब ऐसा लगता है कि पंजाब और हरियाणा देश के राज्य नहीं बल्कि कोई इंटरनेशनल बॉर्डर बन गए हों."
'बातचीत का दरवाजा खुला रहेगा'
सरवन सिंह ने सरकार और किसाने नेताओं के बीच हुई बातचीत के बारे में जानकारी देते हुए कहा, "मीडिया हमसे कह रहा है कि हम लोग रोड जाम कर देते हैं. हम तो आज भी कह रहे हैं कि हम रोड ब्लॉक नहीं करेंगे. सरकार ने खुद रोड रोक रखी है. कंक्रीट की दीवारें खड़ी कर दीं. हम तो देश को अन्न उगाकर देते हैं लेकिन इन लोगों ने हमारे लिए कीलों की फसल उगा रखी है. आप लोग देश के अलग-अलग राज्यों से आ रहे किसानों को परेशान कर रहे हैं फिर हम बातचीत करने के लिए आपके पास पहुंचे. हम इसलिए पहुंचे ताकि इस मसले का मिल बैठकर कोई न कोई हल निकल आए. हम बातचीत का दरवाजा हमेशा खुला रखेंगे."
'सरकार आंदोलन को लेकर टाइमपास कर रही'
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, “हमने देखा है कि सरकार और कुछ नहीं बल्कि हमारे आंदोलन को लेकर टाइमपास करना चाहती है. हमने तो 40 से 45 दिन पहले आंदोलन का समय दिया था. एएसपी को लेकर तब कुछ कर लेते. वो करना ही नहीं चाहते. किसानों के कर्ज के बारे में कह रहे हैं कि हमें मालूम करना होगा कि कितना है, ये बैंकों का काम है. मीटिंग में हमने सभी बातें रखीं लेकिन उससे कोई निर्णय निकलता नहीं दिखा तो हमने सड़क पार आने का फैसला किया.”
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