नई दिल्लीः किसान नेता बीते काफी लंबे समय से केंद्र सरकार के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. इस बीच कई जगहों पर किसान संगठनों ने बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के नेताओं का सामाजिक बहिष्कार करना शुरु कर दिया था. जिससे कई लोग लंबे समय से कई तरह की मुश्किलों का सामना कर रहे थे. अब किसान नेताओं ने अपने दिशा निर्देश बदलने शुरु कर दिए हैं. जिससे बीजेपी और उनके सहयोगी दलों के नेताओं के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार और आंदोलन में बदलाव देखने को मिल रहे हैं.
किसानों के लिए नए दिशा-निर्देश
दरअसल किसान नेताओं ने अपने आंदोलन का नया दिशा-निर्देश तैयार करना शुरु किया है. इसके तहच अब बीजेपी और उनके सहयोगी दलों के नेताओं के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार और आंदोलन उनके आधिकारिक कार्यक्रम के संदर्भ में होंगे, जिसमें सरकारी और राजनीतिक शामिल होंगे. नहीं उनके व्यक्तिगत या निजी कार्यक्रम जैसे की शादियों और अंतिम संस्कार के जुलूसों में भाग लेने के लिए उनका सामाजिक बहिष्कार नहीं किया जाएगा.
हरियाणा सरकार को मिली राहत
किसान नेताओं की ओर से यह घोषणा सोमवार को टोहाना में अधिकारियों और आंदोलनकारी किसानों के बीच एक सप्ताह के गतिरोध को हल करने के तुरंत बाद की गई है. यह खबर हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी सरकार के लिए राहत साबित हो सकती है, इसके साथ ही किसान नेताओं ने अपने इरादों को स्पष्ट करते हुए कहा कि उनका ध्यान अभी भी दिल्ली पर है.
बीजेपी और सहयोगी दलों के नेताओं का निजी कार्यक्रम में नहीं होगा विरोध
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नौ सदस्यों में से एक योगेंद्र यादव ने मंगलवार को कहा है कि किसानों की असली लड़ाई दिल्ली में केंद्र सरकार के खिलाफ है. उन्हें बार-बार छोटी सरकारों से उलझने की जरूरत नहीं है. बीजेपी और उसके सहयोगियों के विधायकों, सांसदों और अन्य प्रतिनिधियों के खिलाफ उनका विरोध हरियाणा और अन्य राज्यों में जारी रहेगा, लेकिन यह विरोध केवल सरकारी और राजनीतिक कार्यों के लिए होगा, निजी आयोजनों के लिए नहीं होगा.
वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा है कि काले झंडों या नारों के इस्तेमाल के साथ सभी आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण होंगे और इसमें किसी भी प्रकार की हिंसा या बल को शामिल नहीं किया जाएगा. बता दें कि 1 जून को टोहाना में आंदोलनकारियों और जेजेपी विधायक देवेंद्र बबली के बीच हिंसक झड़प के बाद एक बड़ा गतिरोध सामने आया था.
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