दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसान नेताओं ने बंगाल में की प्रेस कॉन्फ्रेंस, कहा- BJP हारेगी तो उसका घमंड टूटेगा
तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान दिल्ली के बॉर्डर पर 26 नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं. सरकार और किसान संगठनों के बीच 11 राउंड की बैठक हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.
कोलकाता: दिल्ली में कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान नेताओं ने आज पश्चिम बंगाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. यहां किसान नेताओं ने कहा कि वह किसी पार्टी का समर्थन नहीं कर रहे हैं. लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि बंगाल चुनाव में अगर बीजेपी हार जाती है तो उसका घमंड टूट जाएगा और फिर किसानों की बात मानी जाएगी.
किसान एकता मोर्चा ने अपने एक ट्वीट में लिखा, "हमारे किसान नेताओं ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 'नो वोट टू बीजेपी' के तहत अभियान शुरू कर दिया है. हम लोगों से आग्रह करते हैं कि वे उस पार्टी के खिलाफ खड़े हों, जो किसान विरोधी कानून लाती है."
Our Farm Leaders to Start Campaigning Under the Slogan 'No Vote To BJP' for the appraoching Assembly Elections in West Bengal. We urge people to stand against the party who brought in the Anti-Farmer Laws. #NoVoteToBJP pic.twitter.com/5YzByW4TK3
— Kisan Ekta Morcha (@Kisanektamorcha) March 12, 2021
नए कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली के सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर किसान पिछले साल नवंबर के अंत से प्रदर्शन दे रहे हैं. इनमें ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान हैं.
26 मार्च को भारत बंद का आह्वान किसान संघों ने 26 मार्च को अपने आंदोलन के चार महीने पूरे होने के मौके पर भारत बंद का आह्वान किया है. इसके अलावा 28 मार्च को होलिका दहन के दौरान नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाने का भी निर्णय लिया है.
किसान नेता बूटा सिंह बुर्जगिल ने बुधवार को कहा कि किसान और ट्रेड यूनियन मिलकर 15 मार्च को पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी और रेलवे के निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. उन्होंने कहा, 'डीजल, पेट्रोल और एलपीजी की बढ़ती कीमतों के खिलाफ जिलाधिकारियों को ज्ञापन दिए जाएंगे. निजीकरण के खिलाफ समूचे देश में रेलवे स्टेशनों पर प्रदर्शन किए जाएंगे.'
किसान आंदोलन में अब तक क्या-क्या हुआ दिल्ली के बॉर्डर पर 26 नवंबर से किसान आंदोलन चल रहा है. सरकार और किसान संगठनों के बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अगुवाई में 11 राउंड की बैठक हो चुकी है. लेकिन किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. गृह मंत्री अमित शाह भी अलग से किसानों के साथ बैठक कर चुके हैं.
8 दिसंबर को किसानों ने भारत बंद किया था. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली थी. इस दौरान दिल्ली की सड़कों पर और लाल किले पर जमकर हंगामा हुआ. हिंसा भी हुई, जिसमें एक किसान की जान चली गई. 6 फरवरी को किसानों ने देश के कई शहरों में चक्का जाम किया. किसान आंदोलन में खालिस्तानी सर्मथन के आरोप लगे. हिंसा भड़काने के आरोप में कई लोग गिरफ्तार भी हुए.
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