किसान आंदोलन: जब राकेश टिकैत ने 92 साल के बुजुर्ग को कंधे पर उठा लिया, देखें
इस तस्वीर में वह 92 साल के सेवा चंद बालयान को अपने कंधे पर उठाए दिख रहे हैं.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन पिछले 70 से ज्यादा दिनों से जारी है. इस बीच भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की एक तस्वीर वायरल हो गई है. इस तस्वीर में वह 92 साल के सेवा चंद बालयान को अपने कंधे पर उठाए दिख रहे हैं. गाजीपुर बॉर्डर की यह तस्वीर काफी वायरल हो गई है. बता दें कि सेवा चंद बालयान मुजफ्फरनगर से हैं और किसान आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं.
बाद में सेवा चंद बालयान ने राकेश टिकैत को आर्शीवाद भी दिया.
बता दें कि गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आंदोलन और तेज करने के लिए किसानों को एक नया फॉर्मूला दिया है. टिकैत ने कहा है कि हर गांव से एक ट्रैक्टर पर 15 आदमी 10 दिन का समय लेकर आएं और इस तरह हर किसान इस आंदोलन में शामिल हो सकेगा और फिर गांव लौटकर खेती भी कर सकेगा.
टिकैत ने कहा, "किसान संगठनों के नेता सरकार से बात करने के लिए हमेशा तैयार हैं, लेकिन सरकार बात ही नहीं कर रही. सरकार इस आंदोलन को लंबा चलने देना चाहती है. चूंकि आंदोलन को ज्यादा लंबे वक्त तक चलाना है, इसलिए किसानों को एक फॉर्मूला बताया गया है. ताकि हर किसान भागीदारी कर सके और आंदोलन और ज्यादा लंबे वक्त तक चल सके."
टिकैत न कहा कि इस फॉर्मूले के मुताबिक यदि गांव के लोग आंदोलन के लिए कमर कस लें, तो हर गांव के 15 आदमी 10 दिन तक आंदोलन स्थल पर रहेंगे और उसके बाद 15 लोगों का दूसरा जत्था आ जाएगा. उनसे पहले जो धरना स्थल पर रहे, वे गांव जाकर अपने खेत में काम कर सकेंगे.
सरकार से बातचीत रही बेनतीजा केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सभी बैठकें बेनतीजा रही. सरकार के ऑफर को किसानों ने ठुकरा दिया है. किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं. पीएम मोदी कह चुके हैं कि किसान उनसे सिर्फ एक फोन कॉल ही दूर हैं.
वहीं राकेश टिकैत का कहना है, "हम मीडिया के माध्यम से सरकार से बात करने के लिए कहते रहेंगे, अब यह सरकार को देखना है कि उसके पास किसानों के लिए कब समय है. सरकार किसान आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए तमाम हथकंडे अपना रही है. किसानों से बात न करना और दिल्ली की किलेबंदी करना सरकार की इसी रणनीति का हिस्सा है. देखते हैं, सरकार कब तक किसानों की परीक्षा लेती है."