भोपाल: दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन में किसानों की तरफ़ से सरकार से बातचीत करने वाले शिवकुमार शर्मा उर्फ़ कक्का जी ने दस साल पहले 20 दिसम्बर 2010 को भोपाल को भी तीन दिन तक हज़ारों किसानों के साथ घेर कर तब की शिवराज सिंह की सरकार की नाक में दम कर दिया था. तब कक्का जी आरएसएस के आनुषंगिक संगठन भारतीय किसान संघ की प्रदेश इकाई के प्रमुख थे.


इस संघ की किसानों से जुड़ी 85 मांगों को मानने का आश्वासन तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने दिया था, तब कहीं जाकर किसानों की भोपाल की घेराबन्दी टूटी थी. अब किसानों की ऐसी ही दिल्ली की घेराबन्दी ने मोदी सरकार को बातचीत करने और अपनी बात सुनने को मजबूर कर दिया है.


भोपाल के शिवाजी नगर के रहने वाले 68 साल के कक्का जी जबलपुर विश्वविध्यालय में पढ़ें हैं और तब के छात्र नेता शरद यादव के साथ राजनीति की है. किसान नेता बनने से पहले शिवकुमार सरकार के विधी या क़ानून विभाग में विधिक सलाहकार थे और बाद में सरकार की नज़रों में खटकने के कारण नौकरी छोड़ किसानों के साथ खड़े होकर उनकी आवाज सरकार तक पहुंचाने लगे.


भोपाल के आंदोलन के बाद वो शिवराज की नज़रों में भी चढ़ गए और फिर उनको किसान संघ ने जब बाहर कर दिया तो उन्होंने भारतीय किसान संघ बनाया और उसके बाद भी किसानों के मुद्दे लगातार उठाते रहे. किसान संघ के अध्यक्ष बनाने के बाद से वो किसानों की राष्ट्रीय राजनीति करने लगे और मुद्दों की अच्छी समझ के साथ ओजस्वी वक्ता होने के कारण अब उनकी पहचान राष्ट्रीय स्तर के किसान नेता की हो ग़ई है.


कृषि मंत्री के साथ हुई किसानों की पहली बैठक में तो वो शामिल थे ही, अब अगली मीटिंग का एजेंडा किसानों की ओर से क्या होगा, उसे बनाने की ज़िम्मेदारी भी उनको ही मिली है. शिवकुमार शर्मा उर्फ़ कक्का जी का कहना है इस बार किसान अपनी मांगें मनवाकर ही लौटेंगे और मांगें नहीं मानी गईं तो घेराबंदी तोड़ संसद तक पहुंचेंगे.


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