चंडीगढ़: गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर परेड के दौरान लालकिले पर प्रदर्शनकारियों द्वारा एक धार्मिक झंडा फहराये जाने को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है. व्यापक आक्रोश के बीच घटना के दौरान मौजूद व्यक्तियों में शामिल अभिनेता दीप सिद्धू ने पूरे मामले पर सफाई दी है. दीप सिद्धू ने दावा किया है कि आंदोलनकारियों ने लालकिले से राष्ट्रीय ध्वज को नहीं हटाया.


सिद्धू ने फेसबुक पर पोस्ट किये गए एक वीडियो में कहा कि उन्हें कोई साम्प्रदायिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए जैसा कट्टरपंथियों द्वारा किया जा रहा है. सिद्धू ने कहा, ''नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रतीकात्मक रूप से अपना विरोध दर्ज कराने के लिए, हमने निशान साहिब और किसान झंडा लगाया और साथ ही किसान मजदूर एकता का नारा भी लगाया.''



उन्होंने निशान साहिब की ओर इशारा करते हुए कहा कि झंडा देश की विविधता में एकता का प्रतिनिधित्व करता है. निशान साहिब सिख धर्म का एक प्रतीक है जो सभी गुरुद्वारा परिसरों पर लगा देखा जाता है. दीप सिद्धू ने कहा कि लालकिले पर ध्वज-स्तंभ से राष्ट्रीय ध्वज नहीं हटाया गया और किसी ने भी देश की एकता और अखंडता पर सवाल नहीं उठाया.


पिछले कई महीनों से किसान आंदोलन से जुड़े सिद्धू ने कहा कि जब लोगों के वास्तविक अधिकारों को नजरअंदाज किया जाता है तो इस तरह के एक जन आंदोलन में गुस्सा भड़क उठता है.


कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे नेताओं में से एक स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि उन्होंने सिद्धू को शुरू से ही अपने प्रदर्शन से दूर कर दिया था.


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