Farmers Protest: किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समेत खेती से जुड़ी अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर से दिल्ली घेरने की तैयारी कर ली है. किसानों ने ऐलान किया है कि वह केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए 13 फरवरी को 'दिल्ली चलो' मार्च की शुरुआत करेंगे. आंदोलन के लिए पंजाब-हरियाणा के किसान दिल्ली पहुंचने वाले हैं. इसे ध्यान में रखते हुए हरियाणा से लेकर दिल्ली तक की सीमाओं पर पहरेदारी बढ़ा दी गई है. 


राजधानी दिल्ली 2020-21 में किसानों का एक प्रदर्शन देख चुकी है, जो एक साल तक चला था. इस आंदोलन की वजह से दिल्लीवासियों को ट्रैफिक की समस्या से जूझना पड़ा था. प्रदर्शन के दौरान 26 जनवरी के दिन हिंसा भी हो गई थी. यही वजह है कि सरकार इस बार ऐसा कुछ नहीं होने देना चाहती है. किसानों को दिल्ली की सीमाओं से दूर रखने के लिए खास व्यवस्था की गई है. ऐसा ही कुछ हरियाणा में भी किया जा रहा है, ताकि किसानों के जत्थे को रोका जा सके. 


किसानों का नेतृत्व किसके पास और क्या है उनकी मांग?


दिल्ली चलो मार्च का ऐलान संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने किया है. ये दोनों संगठन 200 से अधिक किसान संघ के साथ मिलकर आंदोलन का ऐलान कर चुके हैं. इनमें से ज्यादातर संगठन पंजाब-हरियाणा से जुड़े हुए हैं. यही वजह है कि 'दिल्ली चलो' मार्च में हिस्सा लेने वाले किसान भी इन्हीं राज्यों से हैं. हालांकि, आमतौर पर किसानों के मुद्दे पर एक्टिव रहने वाले संयुक्त किसान मोर्चा और जाट समुदाय की खाप ने भी प्रदर्शन से दूरी बनाई हुई है. 


किसानों ने सरकार से मांग की है कि सरकार को एमएसपी की कानूनी गारंटी देनी चाहिए. किसानों के लिए पेंशन सुविधा और फसल बीमा की भी सुविधा दी जाए. किसानों ने 2020 में हुए प्रदर्शन के दौरान जिन लोगों पर केस दर्ज हुए, उनके ऊपर से केस हटाने की मांग भी की है. अन्नदाताओं की तरफ से ये भी मांग रखी गई है कि खेती के सेक्टर में स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को जल्द से जल्द लागू किया जाए. लखीमपुर हिंसा के पीड़ितों के लिए भी न्याय की मांग उठाई गई है.


किसानों को रोकने के लिए दिल्ली में क्या किया गया? 


'दिल्ली चलो' मार्च को ध्यान में रखते हुए राजधानी दिल्ली को किले में तब्दील करने की योजना पर काम चल रहा है. हरियाणा से लेकर उत्तर प्रदेश से लगने वाली सीमाओं पर नाकेबंदी बढ़ा दी गई है. साथ ही उन्हें बंद भी किया जा रहा है. दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर धारा 144 लागू कर दी है. उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भी धारा 144 लागू की गई है. दिल्ली को हरियाणा और यूपी से जोड़ने वाले तीनों ही प्रमुख बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था भी बढ़ा दी गई है. 


गाजीपुर बॉर्डर एरिया में न सिर्फ सुरक्षा बढ़ाई गई है, बल्कि आरपीएफ के जवानों की तैनाती हुई है. दिल्ली पुलिस पहले से ही यहां पर मौजूद है. दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने सिंघु बॉर्डर जाकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया है. तीनों सीमाओं पर क्रेन की मदद से कंक्रीट के अवरोधक, सड़क पर बिछने वाले नुकीले अवरोधक, कंटीले तार और बैरिकेडिंग लगाई गई है. ड्रोन के जरिए पूरे इलाके की निगरानी भी की जा रही है.


हरियाणा-पंजाब बॉर्डर पर कैसी है तैयारी?


हरियाणा और पंजाब की सीमाओं पर भी ऐसी ही तैयारी की गई है. अंबाला-कैथल बाईपास पर सिक्योरिटी बढ़ा दी गई है. अंबाला के पास शंभू में पंजाब से लगी सीमा सील कर दी गई है. किसानों को रोकने के लिए जींद और फतेहाबाद जिलों की सीमाओं पर व्यापक इंतजाम किए गए हैं. किसानों को पुलिस बैरिकेडिंग फांदने से रोकने के लिए घग्गर फ्लाईओवर पर सड़क के दोनों किनारों पर लोहे की चादरें लगाई गई हैं. 


पंजाब से लगे बॉर्डर पर पानी की बौछारें और दंगा-रोधी वाहन तैनात कर दिए गए हैं. प्रशासन ने पंजाब से हरियाणा में प्रदर्शनकारियों को नदी के रास्ते आने से रोकने के लिए घग्गर नदी के तल की भी खुदाई कर दी है. हरियाणा सरकार ने शांति भंग होने की आशंका के चलते 11 से 13 फरवरी तक सात जिलों - अंबाला, कुरूक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा में मोबाइल इंटरनेट सर्विस और एक साथ कई एसएमएस भेजने पर रोक लगा दी है. 


किसान प्रतिनिधिमंडल संग सरकार की बात आज


केंद्र सरकार किसानों को मनाने में भी जुटी हुई है. किसानों की मांग पर चर्चा के लिए चंडीगढ़ में सोमवार (12 फरवरी) को तीन केंद्रीय मंत्री किसानों के प्रतिनिधिमंडल संग बातचीत करने वाले हैं. पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत करने वाले हैं. उन्होंने आठ फरवरी को भी प्रतिनिधिमंडल से बात की थी, मगर इसका कोई नतीजा नहीं निकला था. 


किसानों प्रदर्शन के लिए क्या-क्या तैयारी की हैं? 


'दिल्ली चलो' मार्च को सफल बनाने के लिए किसान भी पूरी तरह से तैयार नजर आ रहे हैं. इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि किसानों ने गांवों से भोजन-पानी की सप्लाई लेना शुरू कर दिया है. किसान ट्रैक्टर, ट्रॉलियों और खाने-पीने के साथ दिल्ली पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं. बताया ये भी जा रहा है कि किसानों ने टेंट और डीजल-पेट्रोल भी जमा करना शुरू कर दिया है. ये दिखाता है कि किसान लंबे समय तक डेरा डालने की तैयारी के साथ आ रहे हैं.


यह भी पढ़ें: क्यों प्रदर्शन की तैयारी में हैं किसान, क्या है इस बार अन्नदाताओं की मांग? जानिए Farmer's Protest 2.0 से जुड़े सभी सवालों के जवाब