Farmers Protest Ends: सिंघु बॉर्डर से किसानों का घर लौटना जारी, पुलिस ने भी हटाई बैरिकेडिंग
Farmer's Protest: सरकार की तरफ से किसानों की सभी मांगे मानते हुए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के बाद 11 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन को स्थगित करने का फैसला लिया था
Farmer's Protest Call Off: दिल्ली और हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर मौजूद सभी किसानों की तकरीबन घर वापसी हो चुकी है. 11 दिसंबर को किसान आंदोलन स्थगित हुआ था जिसके बाद उसी दिन से किसानों ने अपने घर वापस लौटना शुरू कर दिया था. तकरीबन 3 दिनों का वक्त लगा जब पूरा आंदोलन लगभग साफ हो गया है. अब पुलिस द्वारा वहां पर बैरिकेड हटाने और पूरी रोड क्लियर करने की कवायद शुरू की गई है.
किसान आंदोलन का सबसे बड़ा मंच दिल्ली और हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर लगा हुआ था. जहां पर एक वक्त में कई हजार किसान आंदोलन पर बैठे थे, कई बार ऐसा देखा गया कि इन की संख्या लाखों में पहुंच गई. तो वहीं जब सरकार की तरफ से किसानों की सभी मांगे मान ली गईं और तीनों कृषि कानूनों को रद्द कर दिया गया तो 11 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा ने इस किसान आंदोलन का स्थगित कर दिया.
380 दिनों बाद स्थगित हुआ किसान आंदोलन
तकरीबन 380 दिनों बाद किसान आंदोलन स्थगित हुआ जिसके बाद से ही किसानों ने अपना सामान बांधना शुरू कर दिया था और अपने घर की तरफ रवानगी कर दी थी और आज आंदोलन के स्थगित होने के तकरीबन 3 दिनों बाद सिंघु बॉर्डर को किसानों ने पूरी तरह खाली कर दिया है.
रविवार को कई जेसीबी मशीन और वॉलंटियर्स की मदद से पूरे आंदोलन स्थल की सफाई की गई. जिसके बाद सोमवार सुबह जो कुछ किसानों के जत्थे बचे थे उन्होंने भी अपनी घर वापसी कर ली है. जिसके बाद पुलिस ने अपनी कवायद शुरू करते हुए जेसीबी लगाकर बड़े-बड़े सीमेंट ब्लॉक और बैरीकेडिंग को हटाना शुरू कर दिया है.
मरम्मत के बाद खोली जाएगी सड़क
पुलिस प्रशासन की तरफ से यह पूरा रोड क्लियर होने के बाद इस रूट की मरम्मत भी करवाई जाएगी क्योंकि इतने वक्त में यह रोड अब हाईवे जैसा नहीं बचा है. जिसके लिए इस पर रिपेयर का काम होना बेहद जरूरी है उसके बाद ही यह आम लोगों के लिए पहले की तरह खोल दी जाएगी और वापस से एक बार फिर इस हाईवे पर गाड़ियां रफ्तार भरेंगी.
किसानों ने जब इस आंदोलन स्थल को खाली कर दिया तो वहां आसपास रहने वाले लोगों ने भी राहत की सांस ली. सुबह अपने दफ्तर जाने वाले लोग, स्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चे, सभी काफी दिनों से कई किलोमीटर का फासला तय करके बॉर्डर पार करते थे. जिसके बाद ही उन्हें सवारी मिल पाती थी और यही कारण है कि आंदोलन के स्थगित होने के बाद उन लोगों को भी राहत मिल गई है.