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कमजोर पड़ी संयुक्त किसान मोर्चा की एकता, राजनीतिक गतिविधियों के चलते एक नेता पर कार्रवाई

किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने रविवार को दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में करीब दर्जन भर दलों के नेताओं की बैठक बुलाई थी, जिसमें कांग्रेस, अकाली दल, आम आदमी पार्टी, एनसीपी समेत वाम दलों के नेता मौजूद थे.

नई दिल्ली: कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर 54 दिनों से आंदोलन कर रहे किसान संगठनों की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा में दरार उभर आया है. विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक बुलाने के कारण हरियाणा के बड़े किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी पर संयुक्त किसान मोर्चा ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात कही है. दूसरी तरफ इस विवाद पर सफाई देने के लिए सामने आए चढूनी ने एक अन्य बड़े किसान नेता शिव कुमार शर्मा उर्फ कक्का जी को आरएसएस का एजेंट बता कर नए विवाद को जन्म दे दिया.

दरअसल गुरनाम सिंह चढूनी ने रविवार को दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में करीब दर्जन भर दलों के नेताओं की बैठक बुलाई थी, जिसमें कांग्रेस, अकाली दल, आम आदमी पार्टी, एनसीपी समेत वाम दलों के नेता मौजूद थे. चढूनी ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ताओं का एक समूह जिसमें प्रशान्त भूषण जैसे लोगों के साथ वह स्वंय भी शामिल हैं, चाहता है कि कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर विपक्षी नेताओं को एक जन-संसद बुलानी चाहिए ताकि सरकार पर दबाव बढ़े.

हालांकि इस बैठक में चढूनी की मौजूदगी संयुक्त किसान मोर्चा को पसंद नहीं आई. मोर्चा के नेताओं ने गुरनाम सिंह चढूनी को पहले ही इसको लेकर आपत्ति जताई थी, लेकिन चढूनी ने मोर्चा का आदेश नहीं माना. इससे नाराज मोर्चा ने चढूनी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए कमेटी बना दी है और बयान जारी कर कहा है कि चढूनी की राजनीतिक गतिविधियों से मोर्चा का कोई भी संबंध नहीं है.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए चढूनी ने संयुक्त किसान मोर्चा के बड़े नेता शिव कुमार उर्फ कक्का जी को आरएसएस का एजेंट बता दिया और कहा कि मोर्चा ने उनका पक्ष जाने बिना फैसला कर दिया. चढूनी ने कहा, "राजनीतिक दलों का समर्थन मांगने की बात अफवाह है. किसान आंदोलन गैर राजनीतिक ही रहेगा. मैंने राजनीतिक दलों से कहा है कि वे भी अपनी भूमिका निभाएं, लेकिन कक्का जी जो आरएसएस के एजेंट हैं मेरे खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हैं."

इसके जवाब में मध्य प्रदेश के किसान नेता शिव कुमार शर्मा उर्फ कक्का जी ने कहा कि क्रिया की प्रतिक्रिया होती है. उन्होंने कहा, "चढूनी को संयुक्त किसान मोर्चा से निलंबित कर दिया गया है, इसलिए वे ऐसा बयान दे रहे हैं. इतने दिनों से तो मैं आरएसएस एजेंट नहीं था."

जाहिर है ऐसे बयानों से किसान संगठनों की एकजुटता को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. कीर्ति किसान सभा के वरिष्ठ नेता प्रेम सिंह भंगू ने इस मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है किसानों का आंदोलन गैर राजनीतिक है. इससे जुड़े हुए प्रमुख किसान नेता चढूनी का नेताओं की बैठक बुलाना स्वीकार नहीं किया जा सकता. साथ ही उन्होंने कक्का जी को लेकर चढूनी के बयान को भी अनुचित करार दिया.

सूत्रों के मुताबिक चढूनी पर कार्रवाई तय है. हालांकि उन्होंने कहा है कि जो भी संयुक्त किसान मोर्चा तय करेगा उसे मानेंगे.

इस पूरे विवाद से किसान संगठनों का आपसी विवाद जरूर उभर कर सामने आ गया है, लेकिन फिलहाल आंदोलन की सेहत पर इसका कोई असर पड़ता हुआ नजर नहीं आ रहा. लेकिन इसने आंदोलन की छवि को नुकसान जरूर पहुंचाया है क्योंकि एकजुटता और अनुशासन इस आंदोलन की पहचान रही है.

इस विवाद से अलग नजरें कल यानी 19 जनवरी को केंद्र सरकार के साथ किसान संगठनों की होने वाली बैठक पर टिकी है. हालांकि समाधान की उम्मीद कम ही है. बैठक में किसान नेता आंदोलन से जुड़े लोगों को एनआईए द्वारा नोटिस दिए जाने का मुद्दा एक बार फिर उठा सकते हैं. दूसरी तरफ किसान नेताओं ने 26 जनवरी को दिल्ली के बाहरी रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड निकालने की बात भी कही हुई है.

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