नई दिल्ली: पंजाब में पराली को आग लगाने का मुद्दा दिन प्रतिदिन गर्माता जा रहा है. जहां सरकार पराली को आग लगाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई की बात कर रही है वहीं किसान अपनी-अपनी यूनियन के झंडे के तले बड़े स्तर पर आग लगा रहे हैं. संगरूर में फसल के नाड (पराली) को आग लगाने से नाराज किसानों ने नाड (फसल का अबशेष) को ट्राली में भरकर डीसी दफ्तर को जाने वाले मुख्य गेट पर फेंक दिया. इसके बाद किसानों ने वहीं पर बैठकर सरकार के खिलाफ खूब प्रदर्शन किया.


किसानों ने बताई ये वजह
प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना था कि पराली को आग लगाना उनकी मजबूरी है क्योंकि इसके बाद उन्हें कनक की बिजाई करनी होती है. अगर वह इसे इकठा करने में लग जाएं तो काफी समय लग जाएगा और कनक की बिजाई में समय नहीं रहेगा. इस कारण वह मजबूरी में आग लगाते हैं.


अगर बात करें सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडीज की तो वह महज एक ड्रामा है क्योंकि ग्राउंड लेवल पर उन्हें कोई सब्सिडी नहीं मिल रही. उन्होंने कहा कि आग लगाना हमारी मजबूरी है और हम हर हाल में इस फसल के अबशेष को आग लगाएंगे. अगर कोई अधिकारी उन्हें रोकने उनके खेतों में जाएगा तो उसके दफ्तर और घर में वह अपनी पराली इकट्ठा कर फेंक आएंगे.


प्रशासन ने दी यह दलील
वहीं जिले के डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी ने कहा कि सरकार किसानों को पराली ना जलाने के बदले में सब्सिडी मुहैया करवा रही है. इसके साथ ही पराली ना जलाने के बदले में पराली को नष्ट करने वाले उपकरण मुहैया करवा रही है. उन्होंने कहा, हम कैंप लगाकर किसानों को इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं. इस तरह के उपकरण सरकार की ओर से हर सोसायटीज में भेजे गए हैं.


डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि हम किसान सगठनों से मीटिंग कर रहे हैं और सबसे जयादा सब्सिडी संगरूर को मिली है जो कि 8 करोड़ के करीब है. जितनी जरूरत है उसके 60 फीसदी मशीनरी आ चुकी है, हम किसान मेले लगाकर किसानों को डेमो दे रहे हैं. छोटे किसान ग्रुप में सोसाइटी बना मशीनरी ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगर फिर भी कोई किसान पराली को आग लगाएगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. चलान भी किए जायेंगे और गिरदावरी में भी लाल स्याही से एंट्री की जाएगी.


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