लोहड़ी के मौके पर दिल्ली और पंजाब में किसानों ने जलाई कृषि कानून की कॉपियां
लोहड़ी के मौके पर दिल्ली और पंजाब में किसानों ने तीनों कृषि कानूनों की कॉपियां जला दीं. पंजाब के अमृतसर में महिलाओं ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया. किसान पहले ही ये साफ कर चुके हैं कि जब तक कानून वापस नहीं लिए जाते उनका आंदोलन जारी रहेगा.
नई दिल्ली: दिल्ली में अलग-अलग बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन 49वें दिन भी जारी है. सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने लोहड़ी के मौके पर तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई. दिल्ली के अलावा भी कुछ राज्यों में लोहड़ी के मौके पर कृषि कानूनों की कॉपियां जलाईं. पंजाब के किसानों ने बुधवार को लोहड़ी के मौके पर केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर इन कानूनों के प्रति अपना विरोध व्यक्त किया.
पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन लोग लकड़ियां इकट्ठी करके जलाते हैं और सुख एवं समृद्धि की कामना करते हैं. अलग-अलग संगठनों से नाता रखने वाले किसानों ने राज्य में कई स्थानों पर प्रदर्शन किया और कानूनों की प्रतियां जलाईं. किसानों ने उनकी मांगें ना मानने को लेकर बीजेपी नीत केन्द्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की. उन्होंने नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की मांग भी की.
‘किसान मजूदर संघर्ष समिति’ के बैनर तले किसानों ने अमृतसर के पंधेरकलां गांव में प्रदर्शन किया. महिलाओं ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया. समिति के महासचिव सरवण सिंह पंधेर ने कहा, ‘‘ हमने कानून को लेकर अपना विरोध व्यक्त करने के लिए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं.’’
अमृतसर में कई और जगह भी ऐसे ही प्रदर्शन किए गए. पंधेर ने कहा, ‘‘केन्द्र के किसानों की सभी मांगें स्वीकार करने तक, हमारा आंदोलन जारी रहेगा.’’ प्रदर्शन कर रहे एक व्यक्ति ने कहा, ‘‘ हम इन कृषि कानूनों को स्वीकार नहीं करेंगे, क्योंकि यह कृषक समुदाय के हित में नहीं है और सरकार को इन कानूनों को रद्द करना चाहिए.’’
राज्य के होशियारपुर, संगरूर और कपूरथला सहित कई स्थानों पर किसानों ने प्रदर्शन किया और नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं. हजारों किसान केन्द्र के नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने और न्यूनतम समर्थन मूल्यों की कानूनी गारंटी की मांग करते हुए कई दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने तीन नये कृषि कानूनों को लेकर केन्द्र सरकार और दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसान संगठनों के बीच व्याप्त गतिरोध खत्म करने के इरादे से मंगलवार को इन कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगाने के साथ ही किसानों की समस्याओं पर विचार के लिये चार सदस्यीय समिति का गठन किया था.
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