Farmers Protest: देश की राजधानी दिल्ली के टिकरी बॉर्डर (Tikri Border) से किसानों ने एक बार फिर से हुंकार भरी है. किसानों ने शनिवार (10 दिसंबर) को टिकरी बॉर्डर से बड़ा एलान भी किया है. एमएसपी (MSP) लागू करने और संपूर्ण कर्ज माफी की मांग को लेकर किसान अब चंडीगढ़ (Chandigarh) कूच करेंगे. किसानों ने हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान चंडीगढ़ कूच करने का एलान किया है.
किसानों ने विधानसभा के घेराव की चेतावनी दी है. इतना ही नहीं किसानों का ये भी कहना है कि 24 तारीख को होने वाली संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में 26 जनवरी के दिन किसान बड़े स्तर का प्रदर्शन करने का एलान भी कर सकता है. दरअसल किसान पंजाब के हुसैनीवाला से शुरू हुई मशाल यात्रा लेकर शनिवार को हरियाणा के बहादुरगढ़ पहुंचे. ट्रैक्टर ट्रॉलियों, गाड़ियों और रेलगाड़ी के जरिए पंजाब और हरियाणा के विभिन्न स्थानों से किसान बहादुरगढ़ पहुंचे.
किसानों की मशाल यात्रा
बहादुरगढ़ के पुराने बस स्टैंड से पैदल मार्च निकालकर मशाल यात्रा टिकरी बॉर्डर के उसी स्थान पर पहुंची जहां एक साल पहले किसानों ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था. टिकरी बॉर्डर पर किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए भारी सुरक्षा बल तैनात किया गया था, लेकिन किसानों ने पहले ही यह बता दिया था कि वह इस बार दिल्ली नहीं जा रहे. किसानों की मशाल यात्रा के कारण करीब 1 घंटे तक दिल्ली रोहतक नेशनल हाईवे जाम रहा. किसान सड़क पर ही बैठ गए और आंदोलन की आगे की रणनीति की घोषणा की गई.
चंडीगढ़ में विधानसभा घेराव की चेतावनी दी
किसान नेता मनदीप नथवान ने कहा कि एमएसपी की मांग को लेकर अभी तो वे चंडीगढ़ में विधानसभा के घेराव की चेतावनी दे रहे हैं, लेकिन एमएसपी की मांग पूरी करवाने के लिए किसानों को अगर लाल किले तक जाना पड़ा तो भी किसान पीछे नहीं हटेंगे. एमएसपी उनका अधिकार है. जिसे वे लेकर ही रहेंगे. इतना ही नहीं किसान कर्ज के बोझ के नीचे दबता जा रहा है इसलिए सरकार से किसानों का संपूर्ण कर्ज माफ करने की मांग भी की जा रही है.
किसान नेता विकास सीसर का कहना है कि किसानों ने 11 दिसंबर 2021 के दिन सरकार के साथ समझौता होने के बाद आंदोलन को स्थगित किया था, लेकिन सरकार ने अपना वादा नहीं निभाया. इसीलिए उन्हें यह मशाल यात्रा निकालनी पड़ी और इस मशाल यात्रा को ही किसान आंदोलन पार्ट 2 का आगाज समझा जा सकता है.
आंदोलन को किया जाएगा तेज
उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि अगर जल्द ही किसानों की सभी मांगें पूरी नहीं हुई तो आंदोलन को तेज किया जाएगा और दोबारा से किसान सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे. किसानों की इस चेतावनी के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) आंदोलन को लेकर आगे क्या रणनीति बनाता है, यह देखने वाली बात होगी. इसके साथ ही केंद्र सरकार किसानों की मांगों की तरफ कितना ध्यान देती है यह भी आने वाला समय ही बताएगा.
ये भी पढ़ें-