कृषि मंत्रालय को किसान संगठनों से अब तक नहीं मिला कोई जवाब, बातचीत का भेजा गया था निमंत्रण
किसान आंदोलन को लेकर कृषि मंत्रालय ने किसान संगठनों को बातचीत का निमंत्रण भेजा है जिस पर अभी किसानों की ओर से कोई जवाब नहीं आया है. उनका जवाब आने के बाद ही सरकार अगली रणनीति पर विचार करेगी.
नई दिल्ली: बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर कृषि मंत्रालय ने किसान संगठनों को बातचीत का निमंत्रण भेजा है. मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि अब तक किसानों की ओर से कोई जवाब नहीं आया है. उनका जवाब आने के बाद ही सरकार अगली रणनीति पर विचार करेगी.
सरकार इस मामले में ज्यादा जल्दबाजी में नहीं दिखाई पड़ती है. 19 दिसंबर को सरकार ने किसान नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित करते हुए जो पत्र लिखा उसमें फिर कहा कि वो खुले मन से बातचीत के लिए तैयार हैं. हालांकि सरकार ने कोई तारीख तय करने की बजाए किसानों से ही तारीख बताने को कहा.
सरकार ने अबतक जिन मुद्दों पर किसानों के सुझाव माने हैं वो इस तरह है
1- एपीएमसी कानून के तहत आने वाली मंडियों को और सशक्त करने पर सरकार तैयार है.
2- किसानों और व्यापारियों के बीच विवाद का निपटारा एसडीएम की अदालत में होने की बजाए सिविल कोर्ट में करने का प्रावधान.
3- व्यापारियों को प्राइवेट मंडियों में व्यापार करने की इजाजत लेने के लिए रजिस्ट्रेशन बनाया जाएगा. जबकि कानून में केवल पैन कार्ड होना अनिवार्य बनाया गया है.
4- प्राइवेट मंडियों में भी कुछ शुल्क लगाने पर विचार हो सकता है.
5- इसके अलावा सरकार पराली जलाने को लेकर हाल ही में लाए गए अध्यादेश में कुछ बदलाव कर सकती है या वापस लेने पर भी विचार कर सकती है.
6- किसानों की एक मांग प्रस्तावित बिजली संशोधन बिल में सब्सिडी को लेकर भी है. बिजली मंत्री ने साफ किया है कि प्रस्तावित बिल में सब्सिडी खत्म करने का कोई प्रावधान नहीं है.
उधर, सरकार की रणनीति किसान कानून के बारे में जागरूकता फैलाने की भी है. सोमवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक कार्यक्रम में छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उन्हें भी कानून के बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए.
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