देशभर में छोटे-बड़े स्टेशनों पर रेल पटरियों को बाधित किए जाने के बीच सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों ने गुरुवरा को दावा किया कि यह आंदोलन केवल पंजाब और हरियाणा तक ही सीमित नहीं है. क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता भजन सिंह ने कहा कि सरकार लगातार यह कह रही है कि नए कृषि कानूनों का विरोध केवल दो राज्यों पंजाब एवं हरियाणा के किसान ही कर रहे हैं लेकिन रेल रोको प्रदर्शन ने सरकार को गलत साबित कर दिया है.
उन्होंने कहा, ‘‘ विभिन्न राज्यों के किसानों ने रेल रोको प्रदर्शन में हिस्सा लिया. इसलिए, रेल पटरियों पर प्रदर्शन करना हमारे लिए महत्वपूर्ण था. जिस तरह रेलवे का देशभर में नेटवर्क है, उसी तरह हमारा प्रदर्शन भी देशभर में हो रहा है.’’ पंजाब और हरियाणा के कई रेलवे स्टेशनों के अलावा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक समेत अन्य राज्यों के अलग-अलग हिस्सों में रेल रोको प्रदर्शन किया गया.
वहीं, किसान नेता अमरीक सिंह ने कहा कि इस तरह के विरोध-प्रदर्शन के जरिए किसान सरकार को अपनी एकजुटता दिखाना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ तीन नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की आवश्यकता है और संयुक्त किसान मोर्चा हर तरह से सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है. हालांकि, हम शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं और आगे भी जारी रखेंगे.’’
सिंह ने कहा कि रेल रोको प्रदर्शन केवल चार घंटे तक ही सीमित था क्योंकि किसान सरकार को एक संदेश देना चाहते थे और वे जनता के लिए असुविधा उत्पन्न नहीं करना चाहते थे. उन्होंने कहा, ‘‘ हम यात्रियों के लिए परेशानी खड़ी करना नहीं चाहते. हम केवल यह चाहते हैं कि सरकार हमारी मांगों को स्वीकार करे ताकि वे भी आराम से सो सकें और हम भी वापस अपने परिवारों के पास लौट सकें.’’
सिंघू बॉर्डर पर कई प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि उनके परिवार के सदस्य गांवों में रेल पटरियों पर बैठे हुए हैं. पंजाब के होशियारपुर से आए जयराम सिंह ने कहा, ‘‘आज के प्रदर्शन के जरिए पूरा देश जाग रहा है. यह दर्शाता है कि हमारी मांग, पूरे देश की मांग है. हम इस मुद्दे के समाधान को लेकर आशान्वित हैं चाहे इसमें दो या चार महीने ही क्यों ना लग जाएं.’’
ये भी पढ़ें: किसानों के रेल रोको आंदोलन का पप्पू यादव ने किया समर्थन, कहा- केंद्र सरकार ने बर्बाद कर दी इकोनॉमी