Farm Laws Withdrawn: केन्द्र सरकार की ओर से कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद आगे की रणनीति तय करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा की आज सिंघु बॉर्डर पर बैठक हुई. कहा जा रहा है कि अब अगली बैठक 27 नवंबर को होगी. इससे पहले शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख नेताओं की 9 सदस्यीय कमिटी और पंजाब के 32 किसान संगठनों की बैठक हुई. एजेंडे में किसानों की मुख्य मांगो पर विचार होगा. साथ ही क़रीब 688 शहीद किसानों के परिवार को मुआवज़े पर बात हुई.
किसानों की 5 मुख्य मांगे-
- एमएसपी पर क़ानून
- बिजली पर अध्यादेश की वापसी
- पराली के मुक़दमों की वापसी
- किसान आंदोलन के मुक़दमों की वापसी
- आंदोलन में शहीद किसानों के परिवारों को मुआवज़ा.
पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम चलते रहेंगे- दर्शन पाल सिंह
इससे पहले शनिवार को किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा कि 26 और 29 नवंबर को होने वाले पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम चलते रहेंगे. उन्होंने कहा कि 22 नवंबर को लखनऊ की रैली को कामयाब करना है. अगर लखीमपुर खीरी में हमारे साथियों को परेशान करने की कोशिश की जाती है तो फिर हम लखीमपुर खीरी इलाके में आंदोलन चलाएंगे.
कानून वापस लेने पर कहा कि अच्छी बात है केंद्र सरकार ने फैसला लिया है, लेकिन बहुत सारे मुद्दे है जिन पर बात होनी चाहिए. अगर ये कानून चर्चा के बाद पारित होते जिन के लिए है अगर उनसे बात करके होती तो दिक्कत नहीं होती. उन्होंने कहा कि कई मुद्दे है जिन पर अभी फैसला नहीं हुआ है. एमएसपी पर अब तक सरकार ने कोई बात नही मानी है. सरकार एमएसपी पर कानून लाएं ये हमारी मांग है.
उन्होंने कहा कि ये आंदोलन इतनी आसानी से नहीं हट सकता है. आंदोलन जारी रहेगा. किसान नेता डा. दर्शन पाल सिंह ने ये भी कहा कि संसद में किसान क़ानूनों की औपचारिक वापसी के बाद भी किसान आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक किसानों की वो माँगे नहीं मानी जातीं जिन्हें किसान आंदोलन के शुरुआत से ही उठा रहे हैं.