नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच आज सातवें दौर की बातचीत होगी. ये बैठक दोपहर 2 बजे विज्ञान भवन में होगी. हालांकि बातचीत से पहले दोनो ही पक्षों ने ये साफ कर दिया है कि वो अपने स्टैंड पर कायम है. ऐसे में आज की बैठक बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है.


किसान अपनी मांग पर कायम हैं और उनका कहना है कि केंद्र को नए कृषि कानूनों को वापस लेना होगा, जबकि सरकार कह चुकी है कि कानून वापस लेना मुमकिन नहीं है. मंगलवार को किसान संगठनों ने सरकार को ताजा पत्र लिखकर आज होने वाली वार्ता का न्योता स्वीकार करने की औपचारिक जानकारी दी. वहीं किसान संगठनों ने एक बार फिर कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने की अपनी मांग दोहराई.


संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को याद दिलाया चार सूत्री एजेंडा
संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार को अपना चार सूत्री एजेंडा याद दिलाया, जिसमें तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि, सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान, "राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020" में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए ज़रूरी हैं और किसानों के हितों की रक्षा के लिए 'विद्युत संशोधन विधेयक 2020' के मसौदे को वापस लेने की प्रक्रिया शामिल है.


पांच दिसंबर को हुई थी आखिरी बैठक
पिछली औपचारिक बैठक पांच दिसंबर को हुई थी, जिसमें किसान संगठनों के नेताओं ने तीनों कानूनों को निरस्त करने की अपनी मुख्य मांग पर सरकार से हां या ना में स्पष्ट रूप से जवाब देने को कहा था. वार्ता बहाल करने के लिए किसान संगठनों के प्रस्ताव पर संज्ञान लेते हुए अग्रवाल ने कहा कि सरकार भी एक स्पष्ट इरादे और खुले मन से सभी प्रासंगिक मुद्दों का एक तार्किक समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्ध है.


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