Punjab Election 2022: चुनाव लड़ने वाले किसान संगठनों को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) से चार महीने के लिए बाहर कर दिया गया है. संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में आज यानी शनिवार को ये फैसला लिया गया. हाल ही में 22 किसान संगठनों ने पंजाब में चुनाव लड़ने का एलान किया था, जो संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) का हिस्सा थे.
बैठक में ये भी फैसला लिया गया है कि एमएसपी कानून कमिटी, मुकदमा वापसी और मुआवजे में देरी के मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ 31 जनवरी को देश भर में प्रदर्शन होगा. संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हंगामे के साथ शुरू हुई. किसान आंदोलन के स्थगित होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की आज पहली बैठक हुई है.
तीन कृषि कानूनों के विरोध और अन्य मांगों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन करीब 385 दिन तक चला और पिछले साल 11 दिसंबर को किसान नेताओं के आदेशों के बाद सभी किसान दिल्ली की सीमाओं को छोड़कर अपने घरों को लौट गए.
कृषि कानूनों की वापसी के बाद धरना स्थल से लौटे किसान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एलान के बाद और दोनों सदनों में तीनों कृषि कानूनों की वापसी के कानून बनाए जाने के बाद 11 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं को छोड़कर किसान अपने घरों को लौटने लगे थे. 9 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में यह फैसला लिया गया था कि 15 जनवरी को सरकार के साथ हुई बातचीत पर किसान एक बार फिर समीक्षा बैठक करेंगे, जो आज आयोजित की गई.
संयुक्त किसान मोर्चा ने जेारी किया था स्पष्टीकरण
गौरतलब है कि 22 किसान संगठनों के चुनाव लड़ने के एलान के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा था कि पंजाब के कुछ किसान संगठनों ने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए 'संयुक्त समाज मोर्चा' पार्टी की आज घोषणा की है, जिससे उनका कोई लेना-देना नहीं है. मोर्चा ने कहा था कि SKM किसी भी राजनीतिक दल को अपने बैनर या मंच का इस्तेमाल नहीं करने देने की अपनी नीति पर कायम है.
साथ ही मोर्चा ने कहा था, "संयुक्त किसान मोर्चा के नाम का चुनाव में इस्तेमाल करना मोर्चे के अनुशासन का उल्लंघन होगा. संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल जो किसान संगठन या नेता चुनाव में भाग लेते हैं, वह मोर्चा में शामिल रह सकते हैं या नहीं, इसके बारे में संयुक्त किसान मोर्चा की 15 जनवरी की आगामी राष्ट्रीय बैठक में फैसला लिया जाएगा."
ये भी पढ़ें-