Farmers Protest: 29 दिसंबर को किसान संगठन सरकार से बातचीत के लिए तैयार, रखी ये चार शर्तें
सरकार ने 24 दिसंबर को किसान संगठनों को बातचीत का न्यौता देते हुए खत लिखा था. इसमें किसान संगठनों से कहा था कि वे अगले दौर की बैठक के लिए तारीख और समय बताएं. अब किसान संगठनों ने तारीख और समय तय कर लिया है और चार शर्तें भी रख दी हैं.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने सरकार से बातचीत का फैसला किया है. किसान संगठनों ने 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे सरकार से अगले दौर की बातचीत का प्रस्ताव दिया है. हालांकि, बातचीत को लेकर किसान संगठनों ने सरकार के सामने चार शर्तें भी रखी हैं.
क्या है किसान संगठनों की शर्तें
किसानों की पहली शर्त है कि सरकार तीनों नए कृषि कानून रद्द करे.
दूसरी शर्त है कि एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी दी जाए.
तीसरे शर्त में बिजली बिल ड्राफ्ट में बदलाव की मांग है
चौथी शर्त है कि पराली कानून से किसनों को बाहर रखा जाए.
बता दें कि किसान संगठनों का प्रदर्शन एक महीने से अधिक समय से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर जारी है. शनिवार 26 दिसंबर को आंदोलन का 31वां दिन रहा. अब देखना होगा कि सरकार किसानों के प्रस्ताव पर क्या प्रतिक्रिया देती है. बता दें कि सरकार ये पहले ही साफ कर चुकी है कि कानून रद्द नहीं होंगे लेकिन किसान संगठनों ने बातचीत के लिए पहली शर्त ही कानूनों को रद्द करने की रख दी है.
कृषि कानूनों के प्रदर्शन कर रहे 40 किसान यूनियनों के मुख्य संगठन संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक में यह फैसला किया गया. किसान नेताओं ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह स्पष्ट किया कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीके के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए गारंटी का मुद्दा सरकार के साथ बातचीत के एजेंडे में शामिल होना चाहिए.
बता दें कि 23 दिसम्बर को किसान संगठनों ने सरकार की ओर से पहले भेजे गए बातचीत के प्रस्ताव को ये कहते हुए ठुकरा दिया कि सरकार की ओर से कुछ ठोस प्रस्ताव आने के बाद ही बातचीत करने पर विचार किया जाएगा. इसके बाद 24 दिसंबर को सरकार ने किसान संगठनों को फिर से बातचीत का निमंत्रण दिया. किसान संगठनों को भेजे गए पत्र में सरकार ने उनसे बातचीत की तारीख और समय बताने को कहा था.