Farmers Prortest: टिकरी और गाज़ीपुर बॉर्डर के बैरिकेड हटे, लेकिन सबके लिए नहीं खुला रास्ता
Farmers Prortest: टिकरी बॉर्डर पर लगे हुए सीमेंट के बोल्डर वाले बैरिकेड को शुक्रवार रात लगभग 9 बजे दिल्ली पुलिस ने दिल्ली से हरियाणा जाने वाले मार्ग से हटा दिया.
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Farmers Prortest: किसान आंदोलन के 11 महीने बीतने के बाद अब आंदोलन स्थलों के रास्तों को बंद किसने किया है? ये सवाल खड़ा हुआ है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने यह बात पूछी है. जिसके बाद से ही न तो किसान और न ही पुलिस इस बात की जिम्मेदारी लेना चाह रही है कि रास्ता उनकी वजह से बंद है. यही कारण है कि पिछले कुछ दिनों से टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर रास्ता खोलने की मुहिम चल रही है. शनिवार को जहां एक और टिकरी बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस ने दिल्ली से बहादुरगढ़ जाने वाले मार्ग पर लगे सभी बैरिकेड्स हटा दिए और किसानों ने भी बड़ी मिन्नतों के बाद 5 फुट रास्ता खोलने की बात पर रज़ामंदी जाहिर की, वो भी शर्त के साथ, तो वहीं दूसरी ओर गाज़ीपुर बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस की तरफ से बैरिकेड तो हटा दिए गए हैं, लेकिन लोगों के लिए रास्ता अभी भी बन्द ही है.
टिकरी बॉर्डर पर शुक्रवार रात से शनिवार दोपहर तक क्या हुआ ?
टिकरी बॉर्डर पर लगे हुए सीमेंट के बोल्डर वाले बैरिकेड को शुक्रवार रात लगभग 9 बजे दिल्ली पुलिस ने दिल्ली से हरियाणा जाने वाले मार्ग से हटा दिया, लेकिन किसानों के विरोध के बाद एक बार फिर से लोहे का टेम्पररी बैरिकेड लगाने पड़े. पिछले 2-3 दिनों से बैरिकेड हटाने की प्रक्रिया चल रही थी, जिसकी वजह से आसपास के लोगों में उम्मीद जगी थी कि यातायात के लिए ये रास्ता खुल जायेगा. जब किसानों से इसका कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पुलिस ने धोखा दिया. बैरिकेड खोलने का समय शनिवार सुबह 10 बजे तय हुआ था. सड़क पर आंदोलन कर रहे किसानों की सुरक्षा के बारे में बगैर सोचे रास्ता कैसे खोलने दिया जा सकता है.
बूटा सिंह बुर्जगिल, किसान नेता, बीकेयू डकोंदा ने बताया कि शुक्रवार को हमारी पुलिस के साथ बैठक हुई थी, जिसमें ये तय हुआ था कि 5 फ़ीट रास्ता खोला जाएगा. टू व्हीलर और साइकल के लिए लेकिन पुलिस ने वादा खिलाफी की. ज्यादा रास्ता खोला जबकि अंदर टेंट लगे हैं. इसलिए विरोध किया. शनिवार सुबह लगभग 10:30 बजए एक बार फिर बैठक हुई, जिसके बाद पुलिस ने किसानों की मर्जी के अनुसार रास्ता खोलने की बात पर सहमति जताई. किसान नेता आंदोलन स्थल पर गए और थोड़ी देर अन्य किसानों के साथ चर्चा की. जिसमें सहमति बन गयी. बूटा सिंह ने बताया कि हमारी पुलिस के साथ बैठक हुई. जिसमें ये तय हुआ है कि 5 फ़ीट रास्ता खोला जाएगा, 2 व्हीलर और साईकल के लिए. प्रतिदिन सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक. इमरजेंसी में अम्बुलेंस भी आ जा सकती हैं.
ऑटो से कोई आता है तो दिल्ली से आने वाले दिल्ली की सीमा में उतरेंगे और हरियाणा से आने वाले हरियाणा की सीमा में. 6 नवम्बर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक है. उसमें अंतिम निर्णय लिया जाएगा कि रास्ता कितना खोले रखना है और कब तक खोला जाएगा.
डीसीपी आउटर परविन्दर सिंह ने क्या कहा
दिल्ली पुलिस की तरफ से रास्ता खोल दिया गया है. दो-तीन दिनों से हमारा प्रयास चल रहा था. किसानों के साथ बातचीत चल रही थी, जो सीमेंट के बैरीकेड थे हटा दिए गए थे. आज सुबह किसानों के साथ फिर से बैठक हुई. इसके बाद उन्होंने कहा कि हरियाणा की तरफ उनके टेंट लगे हुए हैं, ट्रैक्टर ट्रॉली खड़ी है. इसलिए रास्ता सकरा है अभी छोटे वाहनों को दुपहिया वाहनों को आने जाने के लिए रास्ता खोल दिया जाए. अन्य बड़े वाहनों के लिए आने वाले समय में तय किया जाएगा. जिसके बाद अब यह रास्ता खोल दिया गया है. किसानों ने यह भी बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक 6 नवम्बर को है. उसमें भी रास्ता खोलने को लेकर चर्चा की जाएगी. बैठक में अगर दिल्ली पुलिस को बुलाया जाता है तो हम लोग भी इस बैठक में शामिल होंने के लिए तैयार हैं.
बहादुरगढ़ के उद्योगपतियों ने भी बैठक में की थी शिरकत
टिकरी बॉर्डर से सटा बहादुरगढ़ एक औद्योगिक शहर है. पिछले 11 महीने से चल रहे आंदोलन के बाद आज ये रास्ता दुपहिया वाहनों के लिए खोल दिया गया. रास्ता खोला जाए इसके लिए इंडिस्ट्रियलिस्ट भी पुलिस, प्रशासन और किसानों के बीच हुई बैठक में शामिल हुए. बहादुरगढ़ चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स फुटवियर एसोसिएशन के सुभाष जग्गा का कहना है कि 11 महीनों से ये रास्ता बंद है. हमारे यहां की फैक्टरियों में काम करने वाले कई कर्मचारी काम छोड़ कर जा चुके हैं. कई फैक्ट्री बन्द हो गयी हैं. इसलिए हम भी बैठक में शामिल हुए और किसानों को अपनी समस्या से अवगत करवाया. उन्होंने समस्या सुनकर दुपहिया वाहनों के लिए रास्ता खोलने पर सहमति जताई है. हम उनके आभारी हैं.
बहादुर गढ़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सचिव हरि शंकर बाहेती का कहना है कि 11 महीनों से रास्ता बंद होने की वजह से लगभग 25 से 30 प्रतिशत कामगार यहां से पलायन कर चुके हैं. बहादुरगढ़ में लगभग 4000 इंडस्ट्री हैं, जिसमें से लगभग 900 इकाइयां बन्द हो चुकी हैं. कच्चा माल महंगा हो गया क्योंकि लंबे रास्ते से माल लाया जा रहा है. ऐसे में दुपहिया वाहनों के लिए जो रास्ता खोला जा रहा है, वह स्वागतयोग्य कदम है. उम्मीद है कि आने वाले समय में पूरा रास्ता खोला जाएगा. किसानों ने कहा है कि 6 नवम्बर को सयुंक्त मोर्चा की बैठक में इस पर निर्णय लिया जाएगा.
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