Farmers Protest: किसान के समर्थन में अवॉर्ड वापसी का सिलसिला शुरू, 30 पूर्व खिलाड़ी भी लौटाएंगे पदक
पूर्व भारतीय बास्केटबॉल खिलाड़ी और अर्जुन पुरस्कार विजेता सज्जन सिंह चीमा को 30 से ज्यादा पूर्व ओलंपिक और अन्य पदक हासिल करने वाले खिलाड़ियों का समर्थन मिला है. इन लोगों में गुरमेल सिंह और सुरिंदर सिंह सोढ़ी भी शामिल हैं.
नई दिल्ली: देश में अवॉर्ड वापसी का सिलसिला एक बार फिर शुरू हो गया है. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल ने किसानों के समर्थन में अपना पद्म विभूषण सरकार को वापस लौटा दिया है. सात दिसंबर को पूर्व हॉकी कप्तान परगट सुखदेव सिंह ढींढसा ने भी अपना पद्मश्री अवॉर्ड वापस करने का ऐलान किया है.
वहीं कई खिलाड़ी पूर्व किसानों के प्रदर्शन के समर्थन में आ चुके हैं. पूर्व भारतीय बास्केटबॉल खिलाड़ी और अर्जुन पुरस्कार विजेता सज्जन सिंह चीमा को 30 से ज्यादा पूर्व ओलंपिक और अन्य पदक हासिल करने वाले खिलाड़ियों का समर्थन मिला है. इन लोगों में गुरमेल सिंह और सुरिंदर सिंह सोढ़ी भी शामिल हैं. ये दोनों खिलाड़ी साल 1980 मास्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य थे.
सज्जन सिंह चीमा का कहना है कि पिछले कई महीनों से किसान शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके बावजूद जब वह दिल्ली जाने लगे तो उनपर पानी की बौछार की गई और आंसु गैस के गोले फेंके गए. अगर बुजुर्गों और भाइयों की पगड़ी ऐसे उछाली जाएगी तो अवॉर्ड रखकर क्या करेंगे.
किसानों की सरकार को दो टूक- कानून वापसी पर ही खत्म होगा आंदोलन किसान नेताओं ने विज्ञान भवन में गुरुवार को चली सात घंटे की बैठक में केंद्र सरकार के तीनों मंत्रियों से दोटूक कह दिया कि कृषि कानूनों की वापसी तक आंदोलन जारी रहेगा. सरकार के कई मांगों पर नरम रुख के बावजूद किसान नेताओं ने स्पष्ट कहा है कि उन्हें संशोधन मंजूर नहीं है, बल्कि वे कानूनों का खात्मा चाहते हैं. किसान नेताओं ने तीन कृषि कानूनों के अलावा हाल में प्रदूषण पर मोटा जुर्माना और सजा वाले एक्ट को भी हटाने की मांग की है.
पंजाब के क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता डॉ. दर्शनपाल ने विज्ञान भवन में चौथे दौर की हुई बैठक का पूरा हाल बताया. उन्होंने कहा कि सभी किसान नेता पूरी तैयारी के साथ मीटिंग में पहुंचे थे. पहले मंत्रियों ने आधे घंटे में किसान कानूनों के पक्ष में बात रखी. इसके बाद हमने उन्हें एक-एक प्वाइंट के आधार पर बताया कि कैसे तीनों कानून किसान विरोधी हैं.
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