Farmers Protest: किसानों और केंद्र सरकार के बीच सोमवार (12 फरवरी) की रात को हुई बातचीत बेनतीजा होने के बाद पंजाब और हरियाणा के किसानों ने मंगलवार (13 फरवरी) को दिल्ली कूच करना शुरू कर दिया है. किसानों को राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए सभी बॉर्डर सील कर दिए गए हैं.
इसके अलावा दिल्ली की सीमाओं पर कई स्तर के अवरोधक, कंक्रीट के ब्रेकर, लोहे की कीलों और कंटेनर की दीवारें लगाकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. राजधानी की तीन सीमाओं - सिंघू, टिकरी और गाजीपुर पर दंगा-रोधी वर्दी में पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को भारी संख्या में तैनात किया गया है. मार्च के मद्देनजर कुछ जगहों पर अस्थायी जेल स्थापित की गई हैं.
पिछली बार की तुलना में इस बार का आंदोलन अलग
इस बार का किसान आंदोलन पिछली बार साल 2020-21 में हुए आंदोलन की तुलना में कई मायनों में अलग है. इस बार किसानों की मांग भी अलग है और नेतृत्व भी. पिछली बार किसानों का आंदोलन कृषि कानूनों के खिलाफ था और वो इसमें सफल भी हुए थे क्योंकि सरकार ने इन कानूनों को वापस ले लिया था और एमएसपी पर गारंटी देने का वादा किया था लेकिन किसानों का कहना है कि सरकार ने एमएसपी को लेकर जो वादे किए थे वो पूरे नहीं किए.
इस बार क्या हैं किसानों की मांगें?
किसानों की मांगों में प्रमुख मांग फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी वाला कानून बनाना है. सभी फसलों का मूल्य डॉक्टर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर तय हो और गन्ना भी इसमें शामिल हो. किसानों को 60 वर्ष की उम्र के बाद 10,000 रुपए प्रति महीना पेंशन दी जाए. साथ ही अक्टूबर 2021 में लखीमपुर खीरी मामले के अपराधियों को सजा.
MSP पर कानून आ गया तो क्या होगा?
सरकार को तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसलों के दाम चुकाने पड़ेंगे. एमएसपी पर कानून बना तो सरकार जो एमएसपी तय करेगी उससे कम दाम पर किसानों से कोई फसल नहीं खरीद पाएगा. अगर कोई फसल कम कीमत में खरीदता है तो कानूनन अपराध होगा.
लेकिन एमएसपी पर कानून बनते ही सरकारी खजाने पर बोझ भी बढ़ेगा. 2022-23 में एमएसपी पर सरकार ने 2.28 लाख करोड़ रुपए खर्च किए. अगर एमएसपी पर कानून आ गया तो ये खर्चा बढ़कर 17 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा.
MSP पर फसलें खरीदने का प्रावधान क्या है?
रबी-खरीफ की 22 फसलों पर सरकार एमएसपी देती है. एमएसपी तय करने का काम कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइसेस करती है. सरकार इसी की सिफारिश पर एमएसपी तय करती है. देश में करीब 7 फीसद किसानों को ही एमएसपी का फायदा मिलता है.
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