नई दिल्ली: कृषि क़ानूनों को लेकर पंजाब और हरियाणा के किसानों का आंदोलन लगातार जारी है. आज इन किसानों ने दिल्ली की ओर मार्च करने का ऐलान किया था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने इसकी इजाज़त देने से इनकार कर दिया. ऐसे में दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर पुलिस की लगातार चौकसी के साथ साथ किसानों की भी गोलबंदी जारी है.
सरकार कृषि क़ानूनों में बदलाव करने को तैयार नहीं
हालांकि सरकार के सूत्रों ने एबीपी न्यूज़ को साफ़ किया है कि सरकार कृषि क़ानूनों में बदलाव करने को तैयार नहीं है. सूत्रों का कहना है कि तीनों क़ानून किसानों के दूरगामी हितों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं. उनके मुताबिक़ तीनों कानूनों के लागू होने से किसानों को उनकी फ़सल का ज़्यादा उचित दाम मिल सकेगा और कृषि में निवेश बढ़ेगा. ऐसे में इन क़ानूनों में बदलाव या उन्हें वापस लेने का सवाल नहीं उठता है.
किसानों की मांग को मानना बहुत मुश्किल
सरकार के सूत्रों का कहना है कि आंदोलनकारी किसानों की मांग को मानना बहुत मुश्किल है. किसानों की सबसे बड़ी मांग इन क़ानूनों में बदलाव कर न्यूनतम समर्थन मूल्य के प्रावधान को इनमें शामिल करने की है. सूत्रों का कहना है कि ये मांग व्यवहारिक नहीं है और इसका सबसे ज़्यादा नुकसान किसानों को ही होगा. हालांकि सरकार इन किसानों से बातचीत जारी रखेगी.
मुलाक़ातों का अबतक कोई नतीज़ा नहीं
इन किसानों से सरकार के प्रतिनिधियों की दो दौर की बातचीत हो चुकी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी आंदोलनकारी किसानों से बातचीत कर चुके हैं. हालांकि इन मुलाक़ातों का अबतक कोई नतीज़ा नहीं निकला है. सरकार और किसान अपने अपने रुख़ पर क़ायम हैं. अब सरकार ने एक बार फिर तीन दिसम्बर को किसानों को बातचीत के लिए बुलाया है ताकि आंदोलन ख़त्म करने के लिए कोई बीच का रास्ता निकाला जा सके.