नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन को 27 दिन हो गये हैं. इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि प्रदर्शनकारी किसान संगठन जल्द समाधान के लिए सरकार के साथ पुन: बातचीत शुरू करेंगे. वहीं किसान संगठनों ने कहा कि सरकार की तरफ से दिए गए बातचीत के प्रस्ताव पर आज फैसला लेंगे.
नरेंद्र सिंह तोमर ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश के दो और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की, जिन्होंने कानूनों के प्रति अपना समर्थन जताया है. कृषि मंत्री ने दोनों समूहों से मुलाकात के बाद कहा, ‘‘विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधि यह बताने आये थे कि कानून अच्छे हैं और किसानों के हित में हैं. वे सरकार से यह अनुरोध करने आये थे कि कानूनों में कोई संशोधन नहीं किया जाए.’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि वे (प्रदर्शनकारी किसान संघ) जल्द अपनी आंतरिक वार्ता पूरी करेंगे और सरकार के साथ बातचीत के लिए आगे आएंगे. हम सफलतापूर्वक समाधान निकाल सकेंगे.’’
पांच दौर की बातचीत रही है बेनतीजा
दोनों पक्षों के बीच हुई कम से कम पांच दौर की औपचारिक वार्ता बेनतीजा रही है. आंदोलनकारी किसान तीनों कानूनों को निरस्त करने से कम किसी चीज पर राजी नहीं हैं. गतिरोध के चलते नौ दिसंबर को छठे दौर की वार्ता रद्द हो गयी थी.
उत्तर प्रदेश की किसान संघर्ष समिति (केएसएस) और दिल्ली का इंडियन किसान यूनियन (आईकेयू) उन किसान संगठनों में शामिल है, जिन्होंने पिछले तीन सप्ताह में नये कृषि कानूनों के प्रति समर्थन जताया है.
इससे पहले हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ संगठन सरकार का समर्थन कर चुके हैं. हालांकि, करीब 40 समूह दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और 27 दिन से वहां डेरा डाले हैं.
किसानों की आगे की रणनीति
किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पंजाब के 32 किसान यूनियनों ने बैठक की और आगे के कदम के बारे में विचार विमर्श किया.
संधू ने कहा कि वे ब्रिटेन के सांसदों को भी पत्र लिखेंगे और उनसे आग्रह करेंगे कि वे 26 जनवरी को भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल नहीं होने के लिए अपने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन पर दबाव डालें. जॉनसन अगले महीने होने वाले कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगे.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने रविवार को 40 किसान यूनियनों के नेताओं को पत्र लिख कर कहा था कि वे कानूनों में संशोधन के उसके पहले के प्रस्ताव पर अपनी चिंताओं को स्पष्ट करें और अगले दौर की बातचीत के लिए किसी सुविधाजनक तारीख का चुनाव करें ताकि चल रहा आंदोलन जल्द से जल्द समाप्त हो सके.
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