Singhu Border Murder: हरियाणा-दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर पिछले करीब एक साल से किसान आंदोलन (Farmers Protest) पर बैठे हैं. इस बीच आज सिंघू बॉर्डर पर एक दिल दहला देने वाली घटना हुई. यहां सुबह एक कटे हुए हाथ वाले व्यक्ति का शव मिला. ये अर्धनग्न शव बैरिकेड्स से लटका हुआ दिख रहा था. शव उसी स्थान पर मिला, जहां किसान पिछले एक साल से नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे. इस मामले को लेकर बीजेपी ने कहा है कि किसानों के नाम पर इन विरोध प्रदर्शनों के पीछे जो अराजकतावादी हैं, उन्हें बेनकाब करने की जरूरत है. वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि घटना का हमसे कोई संबंध नहीं है. जानिए इस मामले में अबतक क्या कुछ हुआ है.
सिंघू बॉर्डर पर क्या हुआ था?
सुबह सिंघू बॉर्डर पर एक अज्ञात मृतक का शव पुलिस बैरिकेड से बंधा मिला, उसके हाथ कटे हुए थे, जिसे देख वहां दहशत का माहौल पैदा हो गया. भीड़ में से किसी को भी पीड़ित की मदद करते या मदद करने की कोशिश करते नहीं देखा गया. इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस की टीम ने शव को अपने कब्जे में ले लिया. आरोप लगाया जा रहा है कि वह व्यक्ति सिख धार्मिक पवित्र पुस्तक का अपमान करते हुए पकड़ा गया था, जिसके बाद निहंगों ने उसकी हत्या कर दी. हालांकि इस बारे में आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है.
हरियाणा पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, "हमें सुबह करीब 5 बजे घटना की सूचना मिली कि किसानों के विरोध स्थल के मंच के पास एक व्यक्ति मृत पाया गया, जिसके बाद पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंची." उन्होंने कहा कि उन्होंने साइट पर मौजूद प्रदर्शनकारियों से बात करने की कोशिश की लेकिन किसी ने उन्हें कुछ नहीं बताया. यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि इस अपराध के लिए कौन जिम्मेदार था."
बीजेपी ने क्या कहा?
घटना के तुरंत बाद बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट किया, 'बलात्कार, हत्या, वैश्यावृत्ति, हिंसा और अराजकता... किसान आंदोलन के नाम पर यह सब हुआ है. अब हरियाणा के कुंडली बॉर्डर पर युवक की बर्बर हत्या. आखिर हो क्या रहा है? किसान आंदोलन के नाम पर यह अराजकता करने वाले ये लोग कौन हैं जो किसानों को बदनाम कर रहे हैं? अगर राकेश टिकैत ने लखीमपुर में मॉब लिंचिंग को सही नहीं ठहराया होता, कुंडली सीमा पर एक युवक की हत्या नहीं हुई होती. किसानों के नाम पर इन विरोध प्रदर्शनों के पीछे जो अराजकतावादी हैं, उन्हें बेनकाब करने की जरूरत है.’’
पुलिस ने दर्ज की एफआईआऱ
हरियाणा पुलिस ने इस घटना के बाद अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. एफआईआर के मुताबिक, शव को निहंगों ने घेर लिया था, जिन्होंने न तो जांच में सहयोग किया और न ही उन्हें बैरिकेड्स से उतारने दिया. एफआईआर में कहा गया, "निहंगों ने हमें उस व्यक्ति के शव को बैरिकेड्स से नीचे उतारने तक नहीं दिया."
संयुक्त किसान मोर्चा ने जारी किया बयान
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है, ‘’पंजाब के रहने वाले एक व्यक्ति लखबीर सिंह की आज सुबह सिंघू बार्डर पर हत्या कर दी गई. घटनास्थल पर मौजूद एक निहंग समूह ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए कहा है कि यह घटना मृतक के सरबलोह ग्रांट के संबंध में बेअदबी करने की कोशिश के कारण हुई है. बताया गया है कि यह मृतक कुछ समय से निहंगों के एक ही समूह के साथ रह रहा था.’’ बता दें कि इस मामले में पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है.
किसान मोर्चा ने आगे कहा, ‘’हम इस भीषण हत्या की निंदा करते हैं और यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि इस घटना के दोनों पक्षों, निहंग समूह और मृतक व्यक्ति का संयुक्त किसान मोर्चा से कोई संबंध नहीं है. मोर्चा किसी भी धार्मिक पाठ या प्रतीक की बेअदबी के खिलाफ है, लेकिन यह किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं देता है. हम मांग करते हैं कि हत्या और बेअदबी के पीछे साजिश के आरोप की जांच कर दोषियों को कानून के मुताबिक सजा दी जाए. हमेशा की तरह संयुक्त किसान मोर्चा किसी भी कानूनी कार्रवाई में पुलिस और प्रशासन का सहयोग करेगा.’’
यह आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश- हन्नान मोल्लाह
वहीं, अखिल भारतीय किसान सभा महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा है, ‘’10 महीने से किसान आंदोलन को बदनाम करने का एक संयोजित प्रयास चल रहा है. संयुक्त किसान मोर्चा से इसका कोई संबंध नहीं है. मोर्चा के बाहर एक ग्रुप वहां बैठा हुआ है, उन्होंने किया है. सरकार को जांच करनी चाहिए. पुलिस को जांच करनी चाहिए.’’
मृतक व्यक्ति की पहचान हुई
पुलिस की जांच के बाद मृतक व्यक्ति की पहचान हो गई है. हरियाणा पुलिस ने बताया है कि 35 साल का मृतक व्यक्ति पंजाब के तरनतारन जिले के ग्राम चीमा कला का रहने वाला था और इसका नाम लखबीर सिंह था. इसके पिता का नाम दर्शन सिंह है. मृतक लखबीर अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखता था.
सिंघू बॉर्डर पर पुलिसबल तैनात
बताया जा रहा है कि सिंघू बॉर्डर के दोनों ओर हरियाणा और दिल्ली दोनों की पुलिस मौजूद है. गौरतलब है कि पूर्व में किसानों का विरोध हिंसक रूप ले चुका है. तीन अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों के विरोध के दौरान एक वाहन पर हमला और मॉब लिंचिंग की घटना देखी गई. इस घटना में 4 अन्य के अलावा 4 किसानों की मौत हो गई. किसान संगठनों ने दावा किया कि पिछले एक साल से तीन कृषि कानूनों के विरोध में अब तक 630 किसानों की मौत हो चुकी है.