Farmers protest: बातचीत के सरकार के प्रस्ताव को किसान संगठनों ने ठुकराया, कहा- आग से ना खेले सरकार
किसान नेताओं ने कहा कि सरकार आग से खेल रही है. युवा परेशान है कि उसका बुजुर्ग एक महीने से दिल्ली बॉर्डर पर बैठा है. युवा संयम खो रहा है इसलिए सरकार को चेतावनी है कि किसानों पर थोपे गये क़ानून वापस लें.
केन्द्रीय कृषि कानूनों पर केन्द्र सरकार की तरफ से दिए गए संशोधन के प्रस्ताव को किसान संगठनों ने बुधवार को खारिज कर दिया. संयुक्त किसान मोर्चा ने फैसले के बाद सिंघु बॉर्डर पर कहा कि किसानों का फ़िलहाल सरकार से बैठक का मन नहीं है. इसके साथ ही, उन्होंने किसानों को फिर से ठोस प्रस्ताव भेजने को कहा. सरकार के साथ बातचीत के लिए किसानों की तरफ से कोई तारीख नहीं तय की गई है.
केन्द्र सरकार की चिट्ठी का मोर्चा की तरफ से लिखित जवाब देते हुए यह कहा गया- "यह पत्र बदनाम करने का प्रयास है. सरकार ने बातचीत में तिकड़म का सहारा लिया है. आंदोलन को तोड़ने का प्रयास कर रही है. सरकार का यह रवैया किसानों को विरोध प्रदर्शन तेज करने को मजबूर कर रही है."
संयुक्त किसान मोर्चा ने आगे कहा- "किसानों की मांग तीनों कृषि क़ानून रद्द करने की है, लेकिन सरकार संशोधन से आगे नहीं हुई. हम संशोधन की मांग नहीं निरस्त की मांग कर रहे हैं. MSP पर आप लिखित प्रस्ताव रख रहे हैं. बिजली क़ानून पर आपका प्रस्ताव अस्पष्ट है जबाव देना वाजिब नहीं है. आपसे आग्रह है कोई ठोस प्रस्ताव लिखित में भेजें ताकि हम सरकार से बातचीत की आगे बढ़ा सकें."
किसान नेताओं ने कहा कि सरकार आग से खेल रही है. युवा परेशान है कि उसका बुजुर्ग एक महीने से दिल्ली बॉर्डर पर बैठा है. युवा संयम खो रहा है इसलिए सरकार की चेतावनी है कि किसानों पर थोपे गये क़ानून वापस लें.
गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली और इसके आसपास आए हजारों प्रदर्शनकारी किसानों का बुधवार को 28वां दिन है. अभी तक इनकी सरकार के साथ पांच दौर की वार्ता हो चुकी है. सरकार ने नए कृषि कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव किया, लेकिन किसान इस बात पर अड़े हैं कि तीन कृषि कानूनों को वापस लिया जाए.
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