मुंबई: किशन बाबूराव हजारे यानी अन्ना हजारे ने ऐलान किया है कि 30 जनवरी से वे अनशन करेंगे. ये अनशन कृषि कानूनों के विरोध में होगा. अनशन का ठिकाना दिल्ली या मुंबई के बजाय महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले का उनका अपना गांव रालेगण सिद्धि होगा. दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे हैं किसानों के आंदोलन पर अन्ना हजारे बारिकी से नजर बनाए हुए हैं. उन्होंने बीते 8 दिसंबर को आंदोलन करने वाले किसानों के समर्थन में एक दिवसीय अनशन भी किया था.


अन्ना हजारे ने घोषणा की है कि 30 जनवरी से कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर आमरण अनशन करेंगे. उन्होंने अनशन करने के लिए सरकार से दिल्ली के रामलीला मैदान की अनुमति मांगी थी लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद अन्ना ने तय किया है कि वे अपने गांव में ही बैठकर अनशन करेंगे. इससे पहले भी वे जनलोकपाल बिल को लेकर अनशन कर चुके हैं.


पहले भी कर चुके हैं अनशन


बता दें कि पूर्व फौजी अन्ना हजारे को एक गांधीवादी समाजसेवक माना जाता है. भ्रष्टाचार के खिलाफ और अच्छे प्रशासन के लिए 83 साल के हजारे पहले कई अनशन कर चुके हैं. पहले वे महाराष्ट्र में कई बार आंदोलन कर चुके हैं लेकिन उन्हें राष्ट्रीय पहचान साल 2011 के जनलोकपाल बिल आंदोलन से मिली. जनलोकपाल कानून में कड़े प्रावधानों को शामिल किए जाने की मांग को लेकर उन्होंने कई दिनों तक अनशन किया. देशभर में उनके आंदोलन को समर्थन मिला. टीवी पर लगातार उनका अनशन लाइव दिखाया गया.


साल 2011 का अन्ना का आंदोलन गैर-राजनीतिक था लेकिन उसने देश की सियासत में कई राजनीतिक चेहरों को जन्म दिया. जिनमें अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी, जनरल वी के सिंह, शाजिया इलमी का नाम शामिल है. इन लोगों को राजनीति में गया देख अन्ना ने ऐलान किया कि आगे से उनके आंदोलन में शिरकत करने वाले लोगों को शपथपत्र देना होगा कि वे राजनीति से नहीं जुड़ेंगे. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की एक मुख्य वजह अन्ना का आंदोलन माना जाता है.


वहीं केंद्र की बीजेपी सरकार पहले से ही दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को समझाने के लिए संघर्ष कर रही है. उस पर अन्ना के आंदोलन का ऐलान सरकार के लिए नया सिरदर्द पैदा कर रहा है. ऐसे में अन्ना को समझाने की कोशिशें शुरू हो चुकीं है.


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