नई दिल्ली: भारत में उत्तर भारत के किसान आंदोलन की आंच में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपनी टिप्पणी का घी डालकर मामले को अंतर्राष्ट्रीय रंगत दे दी है. ट्रूडो ने गुरुनानक जयंती के लिए दिए अपने बधाई संदेश में भारत के किसान आंदोलन को लेकर भी अपनी चिंताएं जताई.


ट्रूडो ने एक कार्यक्रम के दौरान दिए अपने वीडियो संबोधन में कहा कि भारत में किसानों के आंदोलन को लेकर आ रही खबरें बहुत चिंताजनक हैं. हम उनके परिवारों और मित्रों को लेकर चिंतित हैं. कनाडा शांति पूर्ण समर्थन में है और हमने इस मुद्द को लेकर अलग-अलग तरीकों से भारत सरकार से संपर्क किया है. कनाडाई प्रधानमंत्री ही नहीं, कनाडा की संसद में कई सिख सांसदों ने भी इस मामले को लेकर आवाज उठाई और किसानों की मांगों को लेकर अपना समर्थन जताया.


विरोधाभासी


हालांकि यह काफी विरोधाभासी है कि एक तरफ जस्टिन ट्रूडो भारत में सब्सिडी कानून बनाने की मांग और बाजार व्यवस्था के अनुरूप कृषि कानूनों में किए गए सुधारों के खिलाफ किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं. वहीं विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) समेत अंतर्राष्ट्रीय कारोबार से जुड़ी संस्थाओं के मंच पर भारत में किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी और सहायता को लेकर सवाल उठाता रहा है.


योजना पर उठाए सवाल


सितंबर 22-23, 2020 में विश्व व्यापार संगठन की कृषि संबंधी समिति की बैठक के दौरान कनाडा ने भारत में जारी किसान सम्मान निधि योजना पर सवाल उठाए थे. साथ ही किसान फसल बीमा योजना का भी डब्ल्यूटीओ नियमों के तहत ग्रीन बॉक्स सब्सिडी माने जाने पर प्रश्न खड़े किए.


हालांकि यह पहला मौका नहीं ही जब कनाडा और भारत सब्सिडी के मुद्दों को लेकर अलग-अलग पालों में खड़े नजर आए. बल्कि कनाडा अक्सर अमेरिका, यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया जैसे मुल्कों के साथ मिलकर भारत में कृषि सब्सिडी खत्म करने पर जोर देता रहा है. जबकि अपने किसानों को कनाडा, अमेरिका जैसे विकसित देश भारी भरकम सब्सिडी देते आए हैं.


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