Farmers Protest: दिल्ली विधानसभा ने तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है और इसे निरस्त करने की मांग की है. प्रस्ताव में कहा गया है कि सरकार किसानों से बात करे. प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान दिल्ली के गृहमंत्री और आप नेता सत्येंद्र जैन ने विधानसभा में कहा कि तीनों कानून बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए लाया गया है न कि किसानों के फायदे के लिए.


जैन ने कहा, ''तीन में से एक कानून में कहा गया है कि भंडारण क्षमता को हटा दिया गया है. ये तो पहले भी नहीं था. किसान ने अगर फसल पैदा की है, तो वह भंडार कर सकता था. तो हटा किसके लिए रहे हैं? बड़ी कंपनियों के लिए. पंजाब के अंदर एक कंपनी ने भंडारण क्षमता कानून आने से पहले ही तैयार कर ली. क्योंकि उसे पता था कि ऐसा कानून आने वाला है.''


उन्होंने कहा, ''केंद्र सरकार कहती है कि जो 3 कृषि कानून केंद्र द्वारा बनाए गए हैं वो किसानों के हित में हैं लेकिन असल में तो ये कृषि कानून व्यापारियों के हित में है. इससे किसानों का तो नुकसान होगा ही जनता का भी नुकसान होगा, क्योंकि अब सारी ताकत गिने-चुने लोगों के हाथों में आ जाएगी.''


विधानसभा में विधायक जरनैल सिंह ने कृषि कानून को निरस्त करने का प्रस्ताव रखा. उन्होंने कहा कि 8 महीने से किसान कृषि कानून के विरोध में धरने पर बैठे हैं. 600 से ज़्यादा किसानों की मौत हो चुकी है लेकिन प्रधानमंत्री ने अभी तक कोई संवेदना तक व्यक्त नहीं की. सभी किसानों से उनकी जमीन छीनकर राशन की दुकान की लाइन में लगाना योजना है. ये सदन इस बात की सिफारिश करता है कि केंद्र सरकार किसानों से बात करे.


वहीं प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि नए कृषि कानूनों से उपज और इनकम में इजाफा होगा.


बता दें कि पिछले साल नवंबर महीने से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के ज्यादातर किसान दिल्ली के सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि तीन नए कृषि कानूनों से मंडी और एमएसपी की व्यवस्था खत्म हो जाएगी. 


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