Farmers Union Protest: संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर सोमवार (02 दिसंबर, 2024) की सुबह से ही उत्तर प्रदेश के हजारों किसानों के दिल्ली में प्रवेश करने के लिए जद्दोजहद करते हुए तस्वीरें नजर आईं. किसानों के दिल्ली कूच के मद्देनजर नोएडा से लगी सभी सीमाओं को छावनी में तब्दील कर दिया गया. किसानों को रोकने के लिए नोएडा में ही 5000 से ज्यादा पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को तैनात किया गया.
पुलिस ने बैरिकेडिंग कर सभी वाहनों की जांच करने के बाद ही उन्हें आगे जाने दिया तो वहीं बैरिकेड लगाकर कई घंटों तक आवाजाही को बाधित किया. शाम करीब 4 बजे तक नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे रास्ते को खोला गया और बैरिकेड हटाए गए. नोएडा से दिल्ली आने वाले सभी रास्तों पर लंबा जाम देखने को मिला. किसानों ने फिलहाल अल्टीमेटम दिया है और वो यह है कि अगर 7 दिन तक किसानों की बात को और मांगों को नहीं माना गया तो किसान संगठन दिल्ली कूच करेंगे.
किसानों ने रखी डिमांड, गेंद प्रशासन के पाले में
किसान नेताओं का कहना है कि प्रशासन ने 7 दिन का समय मांगा था जोकि किसानों की ओर से दिया गया है. 7 दिन के लिए आंशिक रूप से धरना प्रदर्शन दलित प्रेरणा स्थल पर जारी रहेगा. संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों की प्राधिकरण, पुलिस और जिला प्रशासन के उच्चाधिकारियों के साथ बीते दिन यमुना प्राधिकरण के ऑफिस में हुई वार्ता का कोई स्पष्ट निष्कर्ष नहीं निकला था.
किसानों की मांगों पर अब भी शासन की ओर से निर्णय लिया जाना है. लिहाज़ा वार्ता के किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने के कारण किसान नेताओं ने दिल्ली कूच का प्लान बरकरार रखा है.
क्या हैं किसानों की मांग?
किसानों की मुख्य मांगों में से एक है कि उन्हें मुआवजा और भूमि आवंटन किया जाए.
किसान मांग कर रहे हैं कि पुराने अधिग्रहण कानून के तहत 10 फीसदी प्लॉट और मुआवजे में 64.7 फीसदी की बढ़ोतरी की जाए.
साथ ही 1 जनवरी 2014 के बाद जिस भूमि का अधिग्रहण किया गया, उसके लिए चार गुना बाजार मूल्य और अधिग्रहित प्लॉट का 20 फीसदी हिस्सा दिया जाए.
किसानों की और मांगें भी शामिल हैं, जिसमें MSP की गारंटी, कर्ज माफी, पेंशन, पिछले विरोध प्रदर्शनों के दौरान दर्ज पुलिस केस वापस लेना और 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलाना शामिल है.