नई दिल्ली: दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन पिछले 63 दिनों से जारी है. इस बीच किसान नेता वीएम सिंह और भानु प्रताप सिंह ने अपना आंदोलन खत्म करने का फैसला लिया है. ये किसान नेता तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे थे हालांकि उन्होंने गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में हुई हिंसा की घटना के बाद आंदोलन से हटने का फैसला लिया है.


भारतीय किसान यूनियन भानु के अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने मंगलवार को दिल्ली में हुई हिंसा की घटना की निंदा की. भानु गुट चिल्ला बॉर्डर पर धरना दे रहा था. भानु प्रताप सिंह ने कहा कि कल दिल्ली में जो कुछ भी हुआ उससे मैं बेहद आहत हूं और 58 दिनों के विरोध प्रदर्शन को समाप्त कर रहा हूं.


वहीं राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के राष्ट्रीय संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि जिसने भी आंदोलनकारी किसानों को मंगलवार को उकसाया उस पर कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि राकेश टिकैत ने सरकार की एक भी मीटिंग में गन्ना किसानों के मुद्दों को क्यों नहीं उठाया?


वीएम सिंह ने साफ किया कि आंदोलन खत्म करने का फैसला राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ का है न की ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी (AIKSCC) का.


बता दें कि मंगलवार को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा हो गई थी. प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़ दिए थे, वे पुलिस से भिड़ गए थे, गाड़ियों को पलट दिया था और लाल किले पर धार्मिक झंडा लगा दिया था.


अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि दिल्ली ने हिंसा के संबंध में अब तक 22 प्राथमिकी दर्ज की हैं. हिंसा में 300 से ज्यादा पुलिस कर्मी जख्मी हुए हैं. एफआईआर में 37 किसान नेताओं का नाम है. इनमें वीएम सिंह का भी नाम शामिल है.


एफआईआर में दावा किया गया है कि आईटीओ इलाके में 600 ट्रैक्टरों के जरिए 10,000 से ज्यादा किसानों के दाखिल होने के बाद कई पुलिसकर्मी घायल हो गए और लोहे के 70 अवरोधकों को तोड़ दिया गया.


दिल्ली पुलिस की एफआईआर में 37 किसान नेताओं के नाम, योगेंद्र यादव और राकेश टिकैत समेत इन पर हुआ केस