नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन आज लगातार 48वें दिन जारी है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कानूनों के अमल पर रोक लगा दी. साथ ही किसानों की शंकाओं और शिकायतों पर विचार के लिये एक उच्च स्तरीय समिति गठित कर दी.


चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि इन कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक के लिये रोक लगायी जाती है.


सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के भूपिन्दर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अनिल घनवट, डॉ प्रमोद जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी को शामिल किया गया है.


सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का कई किसान नेताओं ने स्वागत किया है तो कई ने निराशा जताई है. किसान नेताओं ने कहा है कि जब तक कानून वापस नहीं लिए जाते तब तक वे अपना आंदोलन खत्म नहीं करेंगे. करीब 40 आंदोलनकारी किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने अगले कदम पर विचार करने के लिए आज एक बैठक बुलाई है.


भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे हैं. अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाये जाने की सिफारिश की थी. देश का किसान इस फैसले से निराश हैं.


किसान नेताओं ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त किसी भी समिति के समक्ष वे किसी भी कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेना चाहते हैं लेकिन इस बारे में औपचारिक निर्णय मोर्चा लेगा.


मोर्चा के वरिष्ठ नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा, ‘‘कृषि कानूनों पर रोक लगाने के अदालत के आदेश का हम स्वागत करते हैं लेकिन हम चाहते हैं कि कानून पूरी तरह वापस लिए जाएं.’’


सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले किसानों और सरकार के बीच आठ दौर की बैठकें हुई लेकिन कोई हल नहीं निकल सका. अब 15 जनवरी को अगली बैठक तय है.


SC Stay on Farm Laws 2020: सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानून पर रोक लगाई, चार सदस्यों की एक कमेटी बनाई