Farmers Protest: आज सुबह 11 बजे सिंघू बॉर्डर पर किसान संगठनों की बैठक होने वाली है. बैठक से पहले किसान नेताओं ने कहा कि सरकार बातचीत को लेकर गंभीर नहीं है. 4 दिसंबर को किसान संगठनों ने पांच सदस्यों की कमेटी बनाई थी, लेकिन पिछले दो दिनों में सरकार से बातचीत का न्योता नहीं मिला. आज ही सड़क खाली करने के मसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई है. सवाल ये है कि क्या अब घर वापसी होगी?
कैलेंडर पर तारीख बदल गई है पर किसानों की घर वापसी का मुद्दा अब भी वही अटका है. सिंघू बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और टीकरी बॉर्डर की सड़कों पर किसान डटे हैं, लेकिन आगे की राह दिखाई नहीं दे रही. कल किसान नेता मीडिया के सामने आए और कहा सरकार समाधान के लिए गंभीर नहीं है. दअसल 4 दिसंबर को हुई बैठक में किसानों ने पांच सदस्यों की कमेटी बना दी थी.
कमेटी में कौन-कौन हैं?
- पंजाब से बलबीर राजेवाल
- हरियाणा से गुरनाम सिंह चढूनी
- उत्तर प्रदेश से युद्धवीर सिंह
- मध्य प्रदेश से शिव कुमार कक्का
- और महाराष्ट्र से अशोक धवले का नाम शामिल था
कमेटी सदस्य इंतजार करते रह गए लेकिन सरकार का न्योता नहीं आया. वैसे तो किसानों की 6 मांगें हैं, लेकिन MSP गारंटी क़ानून, किसानों से मुक़दमे की वापसी और मृतक किसानों को मुआवजे पर किसान कोई समझौता करने को तैयार नहीं है.
कहां अटकी है बात?
- किसान MSP पर कानून मांग रहे हैं.
सरकार कमेटी की बात कर रही है. - मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजे की मांग की जा रही है.
केंद्र ने कहा उसके पास मृत किसानों के आंकड़े नहीं हैं. - वहीं किसानों पर दर्ज केस वापस लेने की मांग.
राज्य सरकार तैयार दिख रही हैं.
सूत्रों के मुताबिक सरकार के साथ बातचीत की उम्मीद अभी बरकरार हैं. आज की बैठक में किसान नेता सरकार पर और दवाब डालने की कोशिश करेंगे. किसान नेताओं का आरोप है कि सरकार किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश कर रही है.
सड़कों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
वहीं, आज किसान आंदोलन के चलते बाधित दिल्ली की सड़कों को खोलने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. 21 अक्टूबर को कोर्ट ने किसान संगठनों को याचिका की कॉपी सौंपने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने यह भी कहा था कि आंदोलन के नाम पर इस तरह से सार्वजनिक सड़क को स्थायी रूप से बंद नहीं किया जा सकता. आंदोलन को करीब एक साल हो चुका है और कृषि कानून वापसी की मांग को लेकर किसान बॉर्डर पर जमा हुए थे. सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले चुकी है. इस बारे में अधिसूचना भी जारी हो चुकी है लेकिन अब नई मांगों के साथ किसान अब भी बॉर्डर पर जमा हैं.