नई दिल्लीः पंजाब और हरियाणा के किसान राजधानी दिल्ली में किसान कानूनों के विरोध प्रदर्शन करना चाह रहे हैं. 'दिल्ली चलो' के नारे के तहत किसान पंजाब और हरियाणा से दिल्ली की सीमा की तरफ बढ़ रहे हैं. वहीं किसानों को रोकने के लिये दिल्ली की सीमा पर भारी मात्रा में पुलिसबल तैनात कर दिया गया है.
लोकसभा के मानसून सत्र में कृषि से जुड़े तीन बिल पारित हुए हैं. इन बिलों को केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार करने वाला बता रही है. वहीं, किसान इनका विरोध कर रहे हैं.
किसानों को कहीं भी फसल बेचने की आजादी
सरकार का कहना है कि किसान मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते हैं. बिना किसी रुकावट दूसरे राज्यों में भी फसल बेच और खरीद सकते हैं. यानी मंडियों के दायरे से बाहर भी फसलों की खरीद-बिक्री संभव है. इसके साथ ही फसल की बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. किसानों को ऑनलाइन बिक्री की भी अनुमति होगी और किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे.
किसानों को मंडी और एमएसपी खत्म होने का डर
किसानों को डर है कि नए किसान कानून की वजह से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और मंडियों के खत्म हो सकती हैं. किसान अब तक फसल को अपने आस-पास की मंडियों में सरकार की ओर से तय की गई एमएसपी पर बेचते थे.
नए किसान कानून में कृषि उपज मंडी समिति से बाहर कृषि के कारोबार को मंजूरी दी है. इसके कारण किसानों को डर है की उन्हें अब उनकी फसलों के सही दाम नहीं मिल पाएंगे. अभी तक मंडी में किसान से अनाज की खरीद पर व्यापारी को 6 से 7 प्रतिशत का टैक्स देना होता था. वहीं मंडी के बाहर अनाज की खरीद पर किसी भी तरह का कोई टैक्स नहीं देना होगा. किसानों को लगता है कि इससे आने वाले समय में मंडियां पूरी तरह से खत्म हो जाएंगी और किसान सीधे तौर पर व्यापारियों के हवाले होगा.
वहीं, केंद्र सरकार कह रही है कि वह एमएसपी जारी रखेगी, इसके साथ ही देश में कहीं भी मंडियों को बंद नहीं होने दिया जाएगा. सरकार ने इस बात को नए कानून में नहीं जोड़ा है. वहीं, किसान मांग कर रहे हैं कि एमएसपी को एन कानून में जोड़ा जाए. इससे किसानों में असंतोष है और उन्हें लग रहा है कि देर-सवेर एमएसपी बंद की जा सकती है.
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