कल होगी किसानों और सरकार के बीच बैठक, कृषि मंत्री बोले- सकारात्मक चर्चा की उम्मीद है
15 जनवरी को सरकार और किसानों के बीच होने वाली बैठक को लेकर स्थिति साफ़ हो गई है. किसानों और सरकार के बीच पहले से तय समय पर बैठक होगी.
नई दिल्ली: किसान संगठनों का आज 50वें दिन दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन जारी है. किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. इस बीच किसानों और सरकार के बीच 9वें दौर की होने वाली बैठक को लेकर स्थिति साफ हो गई है. कल किसानों और सरकार के बीच बैठक होगी.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज कहा कि सरकार खुले मन के साथ 15 जनवरी को किसान नेताओं के साथ बातचीत करने को तैयार है. उन्होंने कहा कि किसान संगठनों के साथ शुक्रवार को नौवें दौर की वार्ता में सकारात्मक चर्चा की उम्मीद है.
किसान आंदोलन खत्म करने के लिए 8 जनवरी को सरकार और किसानों के बीच हुई आठवें दौर की बैठक में ये तय हुआ था कि अगली दौर की बातचीत 15 जनवरी को होगी.
इसके बाद 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन और कृषि कानूनों को लेकर फैसला सुनाया. इस फैसले में कोर्ट ने तीन नए कृषि कानूनों के पहल पर रोक लगा दी. साथ ही गतिरोध को खत्म करने के लिए चार सदस्यों की एक कमेटी गठित की.
समिति के लिये शीर्ष अदालत ने भूपिन्दर सिंह मान के साथ शेतकरी संघटना के अध्यक्ष अनिल घनवट, दक्षिण एशिया के अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति एवं अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ प्रमोद जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी के नामों की घोषणा की थी.
इस फैसले के बाद से ही बैठक को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई थी. किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट की कमेटी में शामिल सदस्यों को लेकर आपत्ति जाहिर की है. किसान नेताओं का कहना है कि ये सभी सदस्य नए कृषि कानूनों के हिमायती हैं ऐसे में उनसे न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती है.
इस बीच आज ही कमेटी के एक सदस्य भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान ने कमेटी से खुद को अलग कर लिया. मान ने कहा कि समिति में उन्हें सदस्य नियुक्त करने के लिए वह शीर्ष अदालत के आभारी हैं लेकिन किसानों के हितों से समझौता नहीं करने के लिए वह उन्हें पेश किसी भी पद का त्याग कर देंगे.
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘खुद किसान होने और यूनिनन का नेता होने के नाते किसान संगठनों और आम लोगों की भावनाओं और आशंकाओं के कारण मैं किसी भी पद को छोड़ने के लिए तैयार हूं ताकि पंजाब और देश के किसानों के हितों से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं हो.’’
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