किसान नेताओं को शरद पवार का भरोसा, सरकार से बातचीत बेनतीजा रही तो सड़कों पर उतरेंगे विपक्षी दल
एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मिलने पहुंचे किसान नेताओं ने दावा किया है कि पवार ने उन्हें भरोसा दिया कि बुधवार को अगर सरकार के साथ बैठक बेनतीजा रही तो किसानों के समर्थन में विपक्षी दल सड़कों पर उतरेंगे.
नई दिल्ली: बुधवार यानी 30 दिसंबर को किसानों के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच होने वाली बैठक के पहले संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े 2 किसानों नेताओं ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से उनके घर पर मुलाकात की.
किसान नेताओं ने दावा किया कि एनसीपी प्रमुख ने भरोसा दिया है कि अगर 30 दिसंबर को होने वाली सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच की बातचीत विफल होती है तो यूपीए के सभी घटक दल सड़कों पर उतरकर किसान आंदोलन का समर्थन करेंगे.
किसान आंदोलन में शामिल 2 किसान संगठन से जुड़े लोग एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मिलने दिल्ली स्थित उनके घर पहुंचे थे. दोनों किसान नेताओं ने दावा है कि वह सरकार के साथ हो रही बातचीत में शामिल होते रहे हैं.
इन किसान नेताओं में एक थे संदीप दीघे जो महाराष्ट्र के राष्ट्रीय किसान महा संघ से जुड़े हुए हैं तो दूसरे थे शंकर दरेकर जो महाराष्ट्र के ही राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ से जुड़े हुए हैं.
दोनों किसान नेताओं का दावा है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने तय किया है कि जो भी दल बीजेपी को छोड़कर किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं उन सब से समर्थन के लिए मिला जाएगा. इसी कड़ी में दोनों किसान नेता शरद पवार से मिलने उनके आवास पहुंचे थे.
किसान नेताओं ने दावा किया कि शरद पवार ने मुलाकात के दौरान किसान नेताओं को भरोसा दिलाया है कि अगर 30 दिसंबर दिन बुधवार को होने वाली किसानों और सरकार के बीच की बातचीत सफल नहीं होती तो यूपीए समेत सभी विपक्षी दल किसानों के समर्थन में सड़क पर उतरेंगे.
गौरतलब है कि दिल्ली की सीमा पर बैठे किसानों के आंदोलन का आज 34 वां दिन है. किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं तो वहीं सरकार ने एक बार फिर से किसानों को बातचीत का न्योता दिया है. यह बातचीत 30 सितंबर दिन बुधवार को होनी है.
इस बातचीत के नतीजे से तय होगा कि क्या होगी किसानों के आगे की रणनीति. अगर बातचीत सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ती है तो पिछले 1 महीने से ज्यादा समय से चला आ रहा किसान आंदोलन खत्म भी हो सकता है. हालांकि किसानों ने साफ कर दिया है कि यह आंदोलन तब ही खत्म होगा जब सरकार तीनो कृषि कानून को रद्द करने की उनकी मांग को मानेगी.
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