Farmers Protest: वाशिंग मशीन-रोटी मेकर के बाद अब सिंघु बॉर्डर पर किसानों के लिए लगाए गए फुट मसाजर
आंदोलनकारियों की थकान मिटाने के लिए और उन्हें आराम पहुंचाने के लिए ख़ालसा ऐड द्वारा पच्चीस फुट मसाजर सड़क पर एक टेंट में लगा कर रख दिये गए हैं.फुट मसाज कराने के लिए पहुंचे 65 साल के गुरदीप सिंह कहते हैं कि उन्होंने पहली बार फुट मसाजर का इस्तेमाल किया है और केवल 7 मिनट इस्तेमाल करने के बाद अब वो फिर से कई किलोमीटर तक पैदल चल सकते हैं.
नई दिल्ली: नए कृषि बिलों के खिलाफ किसानों का आंदोलन पिछले 17 दिनों से जारी है और यह और लंबा चल सकता है. लिहाज़ा सिंघु बॉर्डर पर मानो धीरे धीरे किसानों की बढ़ती संख्या के साथ शहर बस्ता जा रहा है. किसानों के लिए सड़क पर ही दो वॉशिंग मशीन के ज़रिए कपड़े धोने की सुविधा के साथ-साथ रोटी बनाने की मशीन, स्टीम बॉयलर के ज़रिए हज़ारों लोगों के लिए खाना बनाना, जिम इत्यादि की सुविधा भी देखी जा सकती है.
निःशुल्क सेवा का लुफ्त उठा सकते हैं आंदोलनकारी
किसान आंदोलन से जुड़ी अब तक की सबसे नायाब और दिलचस्प तस्वीर यहां लगा फुट मसाजर का पंडाल है, जो आंदोलन से जुड़े लोगों के लिए भी आकर्षण का मुख्य केंद्र है. आंदोलनकारियों की थकान मिटाने के लिए और उन्हें आराम पहुंचाने के लिए ख़ालसा ऐड द्वारा पच्चीस फुट मसाजर सड़क पर एक टेंट में लगा कर रख दिये गए हैं, जहां कोई भी किसान, आंदोलनकारी निःशुल्क सेवा का लुफ्त उठा सकता है.
सिंघु बॉर्डर पर धीरे धीरे सड़क पर ही नए शहर का निर्माण हो रहा है. जैसे जैसे किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है, ज़रूरत की हर चीज़ उपलब्ध होती जा रही है. ख़ालसा ऐड की सदस्य एबीपी न्यूज़ से बातचीत के दौरान बताती हैं, ‘’इन फुट मसाजर का इस्तेमाल आंदोलनकारियों में से कोई भी कर सकता है. हम किसानों के बीच आए तो देखा कि बुज़ुर्ग किसानों को कई किलोमीटर चलने के बाद पैरों में दर्द हो रहा था इसलिए हमने उनकी मदद करने के लिए विचार किया."
कई लोगों ने पहली बार किया फुट मसाजर का इस्तेमाल
पहले दिन करीब 500 लोगों ने फुट मसाजर का इस्तेमाल किया और इसकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए संभवतया यह आंकड़ा कई हज़ार तक पहुंच गया होगा. फुट मसाज कराने के लिए पहुंचे 65 साल के गुरदीप सिंह कहते हैं कि उन्होंने पहली बार फुट मसाजर का इस्तेमाल किया है और केवल 7 मिनट इस्तेमाल करने के बाद अब वो फिर से कई किलोमीटर तक पैदल चल सकते हैं. 23 साल के मंजीत कहते हैं, "मैं सुबह से 20 किलोमीटर चल चुका हूं, पूरी तरह से थक कर चूर हो गया था, थोड़ी देर यहां बैठ कर बहुत आराम मिला है. अब फिर से सेवा में जुट जाऊंगा."
सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सभी बैठकें बेनतीजा रही हैं. किसान संगठनों ने 14 दिसंबर से देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है.
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