Farmers Protest: MSP, मुकदमों और मुआवजे पर सरकार से बात करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने बनाई कमिटी, तीन दिनों में समाधान की उम्मीद
Farmers Protest: सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में सरकार से बातचीत के लिए किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, युद्धवीर सिंह, शिव कुमार शर्मा और अशोक धवले के नाम तय किए गए.
Farm Laws: कृषि कानूनों की वापसी के बाद एमएसपी कानून, प्रदर्शनकारी किसानों पर दर्ज मुकदमों को रद्द करने और मृत किसानों के परिजनों को मुआवजा जैसे लंबित मांगों पर सरकार के साथ बातचीत करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने पांच नेताओं की कमिटी बनाई है. अगले दो दिनों में यह कमिटी केंद्र सरकार के साथ समाधान का फार्मूला तैयार करेगी, जिस पर 7 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की अगली बैठक में आखिरी फैसला किया जाएगा.
शनिवार को सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में सरकार से बातचीत के लिए किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, युद्धवीर सिंह, शिव कुमार शर्मा और अशोक धवले के नाम तय किए गए. इनमें से बलबीर राजेवाल और युद्धवीर सिंह पहले से ही सरकार के साथ संपर्क में हैं. सरकार ने इनसे न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी कानून को लेकर कमिटी के लिए पांच नाम देने को भी कहा था.
यह कमिटी सरकार से सभी लंबित मांगों खास तौर पर एमएसपी कानून, मुकदमों और मुआवजे पर बात करेगी. एलान के बाद बलबीर सिंह राजेवाल ने एबीपी न्यूज से कहा कि हम सरकार से बात करेंगे, जल्द समाधान निकलेगा. वहीं, युद्धवीर सिंह ने कहा कि सरकार की तरफ से गृह मंत्री और कृषि मंत्री बात कर रहे हैं. सरकार भी समाधान चाहती है. जब कृषि कानून वापस हो गए तो समाधान के लिए तीन घंटे काफी हैं. उम्मीद है जल्द सकारात्मक परिणाम आएगा.
कमिटी में बलबीर राजेवाल पंजाब से, गुरनाम चढूनी हरियाणा से, युद्धवीर सिंह यूपी से शिव कुमार शर्मा मध्यप्रदेश से और अशोक धवले महाराष्ट्र से रखे गए हैं. किसान नेताओं ने बताया कि सभी नाम सर्वसम्मति से तय किए गए हैं. बैठक के बाद किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार किसान नेताओं के साथ अनौपचारिक बातचीत कर रही थी इसलिए औपचारिक बातचीत के मद्देनजर कमिटी बनाई गई है. संयुक्त किसान मोर्चा में मतभेद की खबरों को निराधार बताते हुए उन्होंने कहा कि सब एकजुट हैं और कोई भी फैसला एक साथ ही लिया जाएगा.
कमिटी के गठन से साल भर से जारी किसान आंदोलन की घर वापसी का रास्ता खुला है. अगर सरकार के साथ बात बन गई तो 7 दिसंबर को आंदोलन के समापन का एलान हो सकता है. संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने यह भी साफ कर दिया है कि लंबित मांगें नहीं मानी गईं तो धरना जारी रहेगा.
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