नई दिल्ली: सरकार ने किसानों के आंदोलन के मद्देनजर फिलहाल कोई फैसला नहीं किया है और लिखित प्रस्ताव भेजे जाने को लेकर सरकार ने तैयारी कर ली है. हालांकि अभी इस आंदोलन का कोई हल निकलता दिखाई नहीं दे रहा है. सूत्रों के मुताबिक प्राइवेट मंडियों में भी कुछ शुल्क लगाने पर विचार हो सकता है, ऐसी खबर आ रही है.


सरकार के प्रस्ताव के बाद आगे की रणनीति बताएंगे किसान
सरकार की ओर से लिखित प्रस्तताव मिलने के बाद दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान नेताओं की बैठक होगी. किसान नेता हनन मुल्ला ने कहा है कि कृषि कानूनों को निरस्त करना होगा और बीच का कोई रास्ता नहीं है. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा- केंद्र की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे. आज होने वाली छठे दौर की वार्ता रद्द हो गई है. ड्राफ्ट पर चर्चा होगी और आगे फैसला तय किया जाएगा. हमें उम्मीद है कि शाम चार पांच बजे तक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.


अमित शाह से रात में बैठक, कोई हल नहीं निकला
मंगलवार देर रात 13 किसान नेताओं की गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात बेनतीजा रही. अचानक हुई बैठक में किसी हल की उम्मीद की जा रही थी. लेकिन किसान नेता अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. वहीं दूसरी ओर सरकार ने भी अपनी मंशा साफ कर दी है कि कानून वापस नहीं होंगे. सरकार किसानों की मांग को देखते हुए कानून में संशोधन करने को तैयार हैय


किसानों के प्रदर्शन का 14वां दिन
राजधानी दिल्ली में हजारों की संख्या में हरियाणा-पंजाब और देश के अन्य राज्यों से आए किसानों का आज 14वां दिन हैं. सरकार और किसानों के बीच अब कुल छह दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन इन बैठकों में दोनों पक्षों के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है. दिल्ली के अलग अलग बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान डटे हुए हैं. हालांकि, सरकार की तरफ से लगातार आंदोलन को खत्म करने कोशिश की जा रही है लेकिन किसान संगठन अपनी जिद पर अड़े हुए है कि सरकार इन तीनों ही कानूनों को वापस ले.


क्या है विरोध
गौरतलब है कि सितंबर महीने में मॉनसून सत्र के दौरान केन्द्र सरकार की तरफ से पास कराए गए तीन नए कानून- 1. मूल्य उत्पादन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020, 2. आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 और 3. किसानों के उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 का किसानों की तरफ से विरोध किया जा रहा है. किसानों को डर है कि इससे एमसीपी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और सरकार उन्हें प्राइवेट कॉर्पोरेट के आगे छोड़ देगाी. हालांकि, सरकार की तरफ से लगातार ये कहा जा रहा है कि देश में मंडी व्यवस्था बनी रहेगी. लेकिन, किसान अपनी जिद पर अड़े हुए हैं.


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