नई दिल्ली: केंद्र और किसानों के बीच कृषि कानून के मुद्दे पर पिछले 19 दिनों से टकराव जारी है. किसान आज दिल्ली के अलग अलग बॉर्डर पर एक दिन का अनशन भी कर रहे हैं. किसानों और सरकार के बीच खई दौरा की बैठकों के बाद भी चर्चा किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी. इस लंबे खिंचते गतिरोध के बीत अब सुझाव और समाधान भी सामने आ रहे हैं. ऐसा ही सुझाव आईएएस अधिकारी अशोक खेमका की तरफ से आया है.


खेमका ने सुझाव दिया है कि एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य का विकेंद्रीकरण कर देना चाहिए. इसका पूरा भार केंद्र सरकार पर नहीं आना चाहिए. एमएसपी का सभी राज्यों के बीच बंटवारा कर देना चाहिए. इसके बाद जो भी बोझ आता है उसे राज्य सरकार खुद उठाएं. राज्य सरकारें अपनी जरूरत और फसलों के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दें. अशोक खेमका के सुझाव पर आंदोलन कर रहे किसान नेताओं की ओर से कोई रिएक्शन नहीं आया है.



बता दें कि दिल्ली में जारी किसानों के आंदोलन का आज 19वां दिन है. आज 40 संगठनों के किसान नेता अपनी मांगों के समर्थन में अनशन पर बैठ गए हैं. किसानों की ये भूख हड़ताल एक दिन की है. किसान नेताओं की पहले दिन से यही मांग है कि तीनों कृषि कानून रद्द किए जाएं और सरकार भी हर बार यही संदेश दे रही है कि कानून उनके भले के लिए है. फिलहाल सरकार और किसानों में बातचीत बंद है लेकिन किसानों का कहना है कि उन्हें बातचीत से कोई परहेज नहीं है बशर्ते बात आगे बढ़नी चाहिए.


कौन हैं अशोक खेमका?
हरियाणा के चर्चित आईएएस अधिकारी हैं, उसका 28 साल के करियर में अब तक 53 बार ट्रांसफर हो चुका है. खेमका अपने स्पष्ट बयानों और तेजतर्रार कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं. खेमका 1991 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. वह 2012 में अपने एक सख्त फैसले के बाद चर्चा में आए थे. तब उन्होंने सोनिया गांधी के दामाद रोबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी और डीएलएफ के बीच एक जमीन का म्यूटेशन रद्द कर दिया था.