नई दिल्ली/चंडीगढ़: नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के सात महीने पूरे होने पर किसानों ने शनिवार को कई राज्यों में राज्यपालों के आवास तक मार्च करने की कोशिश की. वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से अपना आंदोलन खत्म करने की अपील की और तीनों कानूनों के प्रावधान पर बातचीत फिर से शुरू करने की पेशकश की. वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने तोमर के हाल के बयानों को विरोधाभासी बताते हुए कहा कि किसान नेता कानूनों में अर्थहीन संशोधन की मांग नहीं कर रहे हैं.
किसानों की करीब 40 यूनियन, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की अगुआई में दिल्ली के विभिन्न बॉर्डर पॉइंट्स पर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया कि विरोध प्रदर्शन के दौरान हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में किसानों को हिरासत में लिया गया.
दिल्ली सहित कई शहरों में की गई थी कड़ी सुरक्षा- व्यवस्था
मोर्चा ने तोमर के हाल के बयानों को विरोधाभासी और हैरान करने वाले करार देते हुए कहा कि किसान नेता केंद्रीय कृषि कानूनों में कुछ "अर्थहीन संशोधन" की मांग नहीं कर रहे हैं, जिसमें "मौलिक दोष" हैं. मोर्चा ने लोगों से भाजपा को दंडित करने का आग्रह किया. एसकेएम की विभिन्न राज्यों में राज्यपालों को राष्ट्रपति के नाम अपनी मांगों का ज्ञापन देने की घोषणा के बाद दिल्ली सहित अन्य शहरों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी.
उत्तरप्रदेश के कई इलाकों से ट्रैक्टर से गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचे थे किसान
उत्तरप्रदेश के ग्रामीण इलाकों से सैकड़ों किसान, जिनमें से कई ट्रैक्टर पर सवार थे, विरोध प्रदर्शन के सात महीने पूरे होने पर दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचे. भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों के एक ग्रुप ने उपराज्यपाल अनिल बैजल के साथ वर्चुअल बैठक के बाद नॉर्थ ईस्ट दिल्ली डीसीपी ऑफिस में अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा.
बीकेयू के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि इसके बाद किसानों ने अपना मार्च दिल्ली रद्द कर दिया.उन्होंने कहा, "ज्ञापन में तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी की गारंटी सुनिश्चित करने के लिए एक नया कानून बनाने की हमारी मांगें शामिल हैं."
एसकेएम ने सौंपने की अनुमति देने को बताया अघोषित आपातकाल
हरियाणा के कई हिस्सों से किसान हरियाणा के पंचकुला में गुरुद्वारा नाडा साहिब में एकत्र हुए और बैरिकेड्स को पार करते हुए हरियाणा राजभवन की ओर बढ़ने लगे लेकिन चंडीगढ़-पंचकुला सीमा पर रोक दिया गया, जहां राज्य पुलिस ने वाटर कैनन और ट्रक तैनात किए थे. एसकेएम ने एक बयान में कहा, "प्रदर्शनकारियों को रोकने की जरूरत कहां थी. यह केवल राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपने की बात थी और इतनी भी अनुमति नहीं देना अघोषित आपातकाल को दिखाता है" .
पंजाब में किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने किया वाटर कैनन का इस्तेमाल
वहीं, मोहाली की ओर से आ रहे पंजाब के आंदोलनकारी किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने वाटर कैनन का इस्तेमाल किया, लेकिन वे बैरिकेड्स पर करके चंडीगढ़ में प्रवेश करने में सफल रहे. पंजाब के गवर्नर हाउस की ओर बढ़ने से पहले पंजाब के कई हिस्सों से किसान मोहाली के गुरुद्वारा अम्ब साहिब में इकट्ठा हुए थे
कृषि मंत्री तोमर ने आंदोलन खत्म करने की अपील की
वहीं, कृषि मंत्री तोमर ने ट्वीट किया "मैं आपके (मीडिया) के माध्यम से बताना चाहता हूं कि किसानों को अपना आंदोलन समाप्त करना चाहिए. देश भर में कई लोग इन नए कानूनों के पक्ष में हैं फिर भी, कुछ किसानों को कानूनों के प्रावधानों पर कोई समस्या है, भारत सरकार उसे सुनने और उनके साथ चर्चा करने के लिए तैयार है. “
किसान नेताओं ने खेती –किसानी कॉरपोरेट घरानों को सौंपने का लगाया आरोप
मोहाली में प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए, किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल राजेवाल ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार का इरादा कॉरपोरेट घरानों को खेती –किसानी सौंपना चाहती है. यूनियनों के झंडे लिए और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए महिलाओं और युवाओं सहित प्रदर्शनकारियों ने ट्रैक्टर,अन्य वाहनों और पैदल चंडीगढ़ की ओर मार्च किया. पुलिस ने उन्हें सेक्टर 17 के पास रोका, जहां कुछ बसें सड़क पर खड़ी की गई थीं ताकि प्रदर्शनकारियों को पंजाब राजभवन की ओर जाने से रोका जा सके. किसानों ने राजेवाल के नेतृत्व चंडीगढ़ के उपायुक्त को अपना ज्ञापन सौंपा.
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