(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Farmers Protest: सुप्रीम कोर्ट पहुंचा किसान आंदोलन का मामला, जनहित याचिका दायर कर की गई ये मांग
PIL in Supreme Court: पीआईएल डालने वाले एग्नोस्टोस थियोस ने याचिका में कहा है कि किसानों को रोकने के लिए उनके खिलाफ बल का प्रयोग किया जा रहा है. उन पर आंसू गैस, पैलेट गन व रबर गन दागे जा रहे हैं.
Farmers Protest Latest News: एमएसपी समेत अन्य मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों का मामला शुक्रवार (23 फरवरी) को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर दायर की गई जनहित याचिका (PIL) में केंद्र सरकार और कुछ राज्यों की ओर से शांतिपूर्वक विरोध कर रहे किसानों के अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है. यह जनहित याचिका सामाजिक कार्यकर्ता और सिख चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रबंध निदेशक एग्नोस्टोस थियोस की तरफ से दायर की गई है.
जनहित याचिका में कहा गया है कि शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को राज्य सरकारों और केंद्र सरकारों की तरफ से अनुचित व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है. याचिकाकर्ता ने हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आक्रामक और हिंसक कदम उठाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि किसानों के खिलाफ आंसू गैस, रबर गन और पैलेट गन का उपयोग किया जा रहा है.
क्या कहा है याचिकाकर्ता ने PIL में?
एग्नोस्टोस थियोस ने याचिका में कहा है, “शांतिपूर्ण किसानों को अपने लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों के प्रयोग के लिए अपनी ही सरकार की ओर से आतंकवादियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है. पहले तो उन पर बल प्रयोग किया जा रहा है और फिर मेडिकल हेल्प के अभाव में चोटें बढ़ रही हैं. इससे मरने वालों की संख्या भी बढ़ रही है.
याचिकाकर्ता थियोस ने आंदोलनकारी किसानों के लिए निम्नलिखित राहत उपायों की मांग की है...
- केंद्र सरकार पूरे भारत के किसानों की उचित मांगों पर विचार करे.
- केंद्र और राज्य प्रदर्शनकारी किसानों के साथ उचित और सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करें.
- दिल्ली की सीमाओं के पार सार्वजनिक और अन्य वाहनों की आवाजाही ठीक हो यानी सभी रास्ते खोले जाएं.
- राष्ट्रीय और राज्य मानवाधिकार आयोग पुलिस की ओर से 'शांतिपूर्वक विरोध कर रहे किसानों पर क्रूर हमले पर रिपोर्ट प्रस्तुत करें और पीड़ित किसानों के साथ ही उनके परिवारों को 'उनके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन' के लिए पर्याप्त मुआवजा दिया जाए.
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