नई दिल्ली: किसान आंदोलन को लेकर क्या एनसीपी और कांग्रेस के बीच सबकुछ ठीक नहीं है ? ये सवाल इसलिए क्योंकि गुरूवार को किसानों के समर्थन में गाजीपुर बॉर्डर गए विपक्ष के प्रतिनिधिमंडल में शिरोमणि अकाली दल नेता हरसिमरत कौर तो शामिल थीं मगर कांग्रेस शामिल नहीं थी.


दिल्ली से सटे गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन पर बैठे किसानों के समर्थन के लिए विपक्ष का एक प्रतिनिधिमंडल वहां पहुंचा था. हालांकि इन नेताओं को किसानों से मिलने नहीं दिया गया मगर एक बात ने सभी राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया, और वो था इस प्रतिनिधिमंडल में शिरोमणि अकाली दल सांसद और पूर्व केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल की मौजूदगी और कांग्रेस का नदारद रहना.


एबीपी न्यूज़ को कांग्रेस के विश्वसनीय सूत्रों ने जो बताया वो चौंकाने वाला है. कांग्रेस के विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक शरद पवार के घर से निकले इस प्रतिनिधिमंडल के जाने की कोई जानकारी कांग्रेस को थी ही नहीं. विश्वसनीय सूत्र ने कहा कि कांग्रेस को इसकी कोई जानकारी तक नहीं थी और ज़ाहिर है जिस शिरोमणि अकाली दल से पंजाब में कांग्रेस की सीधी लड़ाई है, उसको शामिल कर कांग्रेस को इससे दूर रखना बहुत गलत है.


एक तरफ महाराष्ट्र में साझा सरकार चलाना और दूसरी तरफ किसानों के समर्थन में गाजीपुर बॉर्डर पर जाते वक्त शिरोमणि अकाली दल को शामिल करना और कांग्रेस को दूर रखना निश्चित तौर पर बड़े राजनीतिक सवाल खड़े करता है, हालांकि इसका दूसरा पक्ष ये भी है कि किसान आंदोलन में जान गंवा चुके एक किसान के अंतिम अरदास में जाते वक्त प्रियंका गांधी ने भी किसी भी सहयोगी दल के किसी नेता को साथ नहीं लिया था.


सवाल उठना इसलिए भी लाज़मी है, क्योंकि इस प्रतिनिधिमंडल में NCP से खुद शरद पवार की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले, शिरोमणि अकाली दल से हरसिमरत कौर बादल, DMK से कनीमोझी और त्रीची शिवा, तृणमूल कांग्रेस से शौगतो रौये, नेशनल कॉन्फ्रेंस से हसनैन मसूदी और वाम दल आरएसपी के सांसद एनके प्रेमचंद्रन तक शामिल थे मगर कांग्रेस शामिल नहीं थी. इसके अलावा गौर करने वाली बात ये कि ये प्रतिनिधिमंडल पहले एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के घर पर मिला और फिर वहीं से सभी नेता एक बस में सवार होकर गाजीपुर बॉर्डर गए. निश्चित तौर पर कांग्रेस इससे काफी आश्चर्यचकित है.


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