नई दिल्ली: तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन लगातार 65वें दिन जारी है. हालांकि गणतंत्र दिवस के दिन से ही किसान आंदोलन स्थलों की सूरत बदल गई है. 26 जनवरी के दिन ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा हुई. इसमें करीब 400 पुलिसकर्मी घायल हो गए.


इसके दो दिन बाद गुरुवार को गाजीपुर बॉर्डर से आंदोलनकारियों को हटाए के लिए प्रशासन ने भारी संख्या में पुलिस और आरएएफ के जवानों की तैनाती की लेकिन उसे सफलता नहीं मिली. गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत की अपील के बाद प्रदर्शनकारी किसानों की भीड़ बढ़ने लगी.


वहीं आज सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन स्थल पर स्थानीय लोग पहुंच गए और प्रदर्शनकारियों का विरोध करने लगई. इस दौरान झड़प हो गई. इस झड़प में दिल्ली पुलिस के एसएचओ समेत कई घायल हो गए. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने 44 लोगों को गिरफ्तार किया है.


इन सब के बीच कल यानि शनिवार को किसान ‘सद्भावना दिवस’ के रूप में मनाएंगे. किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर दिन भर का उपवास रखेंगे.


किसान नेताओं ने दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी को निशाने पर लेते हुए कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ "शांतिपूर्ण" आंदोलन को "बर्बाद" करने का प्रयास किया जा रहा है.


किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा, ''बीजेपी से तिरंगे के सम्मान को लेकर भाषण की आवश्यकता नहीं है, अधिकतर किसानों के बच्चे सीमाओं पर लड़ रहे हैं.''


किसान नेता दर्शन पाल ने कहा, ''आने वाले दिनों में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से भारी संख्या में किसान प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे.'' उन्होंने कहा कि मैं सरकार से सभी प्रदर्शनस्थलों पर इंटरनेट सेवा बहाल करने का अनुरोध करता हूं, वरना, हम इसका भी विरोध करेंगे.


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