Farmers Protest LIVE Updates: सरकार ने किसान संगठनों को पत्र लिखकर बातचीत का दिया न्योता, तारीख चुनने को कहा
दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों का आज 25वां दिन है. किसान केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. किसान संगठनों ने अभी तक के आंदोलन के दौरान शहीद होने वाले किसानों को शहीदों का दर्जा दे दिया है। जिनको श्रद्धांजलि देने के लिए अब दिल्ली के बॉर्डर समेत पंजाब भर में उनके लिए श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित किए जाने का निर्णय किया है. किसान आंदोलन से जुड़ी पल पल की अपडेट के लिए बनें रहें एबीपी न्यूज़ के साथ...
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नई दिल्ली: कृषि कानून बिल के खिलाफ दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का 25वां दिन है. किसान और सरकार दोनों अपने रुख पर कायम हैं. किसानों की मांग है कि सरकार तीनों कानून वापस ले. वहीं सरकार बातचीत कर बीच का रास्ता निकालना चाहती है. सरकार और किसानों के बीच कुल छह दौर की वार्ता भी हो चुकी है लेकिन यह पूरी तरह बेनतीजा रही. किसान जहां आंदोलन को दिनों दिन तेज करते जा रहे हैं तो वहीं सरकार की तरफ से भी किसानों को मनाने की कोशिश जारी है.
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, (एआईकेएससीसी) ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नाम एक खुला पत्र लिखकर किसानों के विरोध-प्रदर्शन को लेकर सरकार की ओर से लगाए तमाम आरोपों का खंडन किया है. किसान संगठन (एआईकेएससीसी) ने पत्र में प्रधानमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री को संबोधित पत्र में लिखा है- "बड़े खेद के साथ आपसे कहना पड़ रहा है कि किसानो ंकी मांगों को हल करने का दावा करते-करते, जो हमला दो दिनों से आपने किसानों की मांगों व आंदोलन पर करना शुरू कर दिया है वह दिखाता है कि आपको किसानों से कोई सहानुभूति नहीं है और आप उनकी समस्याओं का हल करने का इरादा शायद बदल चुके हैं. निस्संदेह, आपके द्वारा कही गईं सभी बातें तथ्यहीन हैं."
पत्र में आगे लिखा है- "उससे भी ज्यादा गंभीर बात यह है कि जो बातें आपने कही हैं, वे देश व समाज में किसानों की जायज मांगें, जो सिलसिलेवार ढंग से पिछले छह महीनों से आपके समक्ष लिखित रूप से रखी जाती रही हैं, देशभर में किए जा रहे शांतिपूर्ण आंदोलन के प्रति अविश्वास की स्थिति पैदा कर सकती है. इसी कारण से हम बाध्य हैं कि आपको इस खुले पत्र के द्वारा अपनी प्रतिक्रिया भेजें, ताकि आप इस पर बिना किसी पूर्वाग्रह के गौर कर सकें."