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Farmers Protest LIVE Updates: सरकार ने किसान संगठनों को पत्र लिखकर बातचीत का दिया न्योता, तारीख चुनने को कहा
Farmers Protest LIVE Updates: सरकार ने किसान संगठनों को पत्र लिखकर बातचीत का दिया न्योता, तारीख चुनने को कहा
दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों का आज 25वां दिन है. किसान केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. किसान संगठनों ने अभी तक के आंदोलन के दौरान शहीद होने वाले किसानों को शहीदों का दर्जा दे दिया है। जिनको श्रद्धांजलि देने के लिए अब दिल्ली के बॉर्डर समेत पंजाब भर में उनके लिए श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित किए जाने का निर्णय किया है. किसान आंदोलन से जुड़ी पल पल की अपडेट के लिए बनें रहें एबीपी न्यूज़ के साथ...
एबीपी न्यूज़
Last Updated:
20 Dec 2020 11:45 PM
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि किसानों को फसल पर मिलने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) हमेशा बना रहेगा. उन्होंने कहा, "अगर कोई इसे खत्म करने की कोशिश करेगा, तो मनोहर लाल खट्टर राजनीति छोड़ देगा. एमएसपी खत्म नहीं होगा."
किसान आंदोलन के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने किसान संगठनों को पत्र लिखकर बातचीत का न्योता दिया है. अपने पत्र में सरकार ने संगठनों से कहा है कि वो बातचीत के लिए तारीख तय करें.
पंजाब के अमृतसर में आज शाम किसान मजदूर संघर्ष समिति के सदस्यों ने दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक कैंडल मार्च का आयोजन किया.
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर किसानों के आंदोलन को समाप्त करवाने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों से सोमवार या मंगलवार को मुलाकात करेंगे.
स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा, "हमने सभी धरना स्थलों पर कल से 24 घंटों का रिले हंगर स्ट्राइक शुरू करने का फैसला किया है."
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, "जब तक बिल (कानून) वापिस नहीं होगा, एमएसपी पर क़ानून नहीं बनेगा, तब तक किसान यहां से नहीं जाएंगे. 23 तारीख को किसान दिवस के मौके पर किसान आप से कह रहे हैं कि एक समय का भोजन ग्रहण न करें और किसान आंदोलन को याद करें."
भारतीय किसान यूनियन के जगजीत सिंह दलेवाल ने कहा, "हम सभी से अपील करते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम के दौरान 27 दिसंबर को जब तक वो बोलते रहें, सभी अपने घरों से थाली बजाएं."
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद पटना में किसान चौपाल कार्यक्रम में बैलगाड़ी से पहुंचे और कहा, "चारों विधानसभा में किसानों के साथ कार्यक्रम था. हमने किसानों को विस्तार से बताया कि कृषि कानून किसानों को आज़ादी देते हैं. आप कहीं भी फसल बेच सकते हैं. न मंडी हटेगी न एमएसपी."
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने किसान आंदोलन को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा, "सरकार कृषि कानूनों में संशोधन के लिए तैयार है. एमएसपी और एपीएमसी को धक्का नहीं लगेगा. अगर कानून पीछे लेंगे तो हर कानून पीछे लेने की बात हो सकती है. किसानों से निवेदन है कि आंदोलन खत्म करें. सरकार आपको एमएसपी और एपीएमसी के संबंध में लिखित में देने के लिए भी तैयार है."
दिल्ली के निरंकारी समागम ग्राउंड पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आज किसान आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए जुलूस निकाला. इस दौरान एक किसान ने कहा, "देश भर के किसान उन शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं जो इस आंदोलन के दौरान शहीद हुए हैं."
मेरठ से गाजियाबाद रवाना हुए सैकड़ों किसान
मुज़फ्फरनगर, सहारनपुर, बागपत और मेरठ से सैकड़ों की संख्या में किसान आज सुबह मेरठ के परतापुर फ्लाईओवर पर ट्रैक्टर ट्रॉलियों लेकर पहुंचे. यहां किसान बाकायदा बोरियां बिस्तर और अन्य सामान साथ लेकर आए हैं. मेरठ के परतापुर में इकट्ठा होकर किसानों ने मेरठ से गाजियाबाद के लिए कूच कियां किसानों ने बड़े-बड़े बैनरों में कृषि बिल का समर्थन करने के स्लोगन लिखे हैं. किसानों के इस जत्थे में सैकड़ो युवा किसान भी दिखाई दिए.
कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव ने कहा, "दिल्ली आंदोलन में शहीद हुए किसानों के लिए आज दोपहर 12 बजे अरदास की गई. आज शाम को 5 बजे के बाद सभी मोमबत्ती जलाकर शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे."
कड़ाके की ठंड के बावजूद आंदोलनकारी जमे
दिल्ली शीत लहर की चपेट में है, इसके बावजूद केंद्र के कृषि कानूनों का दिल्ली की सीमाओं पर विरोध कर रहे किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं. किसान आंदोलन शुरू हुए चार सप्ताह हो चुके हैं और इसके कारण सीमा पर कई बिंदुओं पर यातायात का मार्ग परिवर्तित किया गया है जिसकी वजह से यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है.
जगह-जगह श्रद्धांजलि-सभा का आयोजन
किसान आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए जगह-जगह श्रद्धांजलि-सभा का आयोजन किया जा रहा है. भारतीय किसान यूनयिन किसान (भाकियू) से जुड़े पंजाब के किसान नेता गुरविंदर सिंह ने कहा कि अपने हकों के लिए किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को भी आज श्रद्धांजलि दी जा रही है. पंजाब और हरियाणा समेत देश के अन्य प्रांतों में भी श्रद्धांजलि-सभा का आयोजन किया जा रहा है.
एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा, "किसान आंदोलन को आज 25 दिन हो गए हैं, किसी भी प्रकार से सरकार कोई रास्ता नहीं निकाल रही है. जिनके लिए कानून बनाए गए हैं अगर वो ही मानने को तैयार नहीं हैं तो सरकार कानून वापस ले. ईगो बनाकर कानून लोगों पर थोपे रहना और आंदोलन बढ़ाने का रवैया लोकतंत्र में ठीक नहीं है."
प्रधानमंत्री मोदी अचानक आज सुबह दिल्ली में गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब पहुंचे
सिंघु बॉर्डर पर अब ‘मेड इन पंजाब’ देसी गीजर पहुंचा
सिंघु बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन में रोटी बनाने वाली मशीन, सौर पैनल और वॉशिंग मशीनों की मौजूदगी के बीच अब पानी गर्म करने के लिए ‘मेड इन पंजाब’ देसी गीजर भी पहुंच गया है. देसी गीजर के बारे में मनजिंदर सिंह ने कहा, "यह पंजाबी जुगाड़ है. हम इसे देसी गीजर कहते हैं. पंजाब में यह हर घर में है. अब यह यहां भी हमारे पास है. हमें यह संगत ने लंगर में इस्तेमाल करने के लिए दिया है."
किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह दिल्ली में गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब गए. यहां गुरु तेग बहादुर को श्रद्धांजलि दी.
आज शहीदी दिवस मनाएंगे किसान
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शनकारी दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर डटे हुए हैं. प्रदर्शनकारी किसान आज शहीदी दिवस मनाएंगे. भारतीय किसान यूनियन के एनसीआर के मुख्य सचिव मांगे राम ने बताया, "जो लोग इस आंदोलन में शहीद हुए हैं उनके लिए आज शहीदी दिवस मनाया जाएगा."
किसान आंदोलन में पगड़ी का क्रेज
सिंघु बॉर्डर पर हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी मौजूद हैं. किसान आंदोलन के दौरान बॉर्डर पर अलग-अलग रंग की पगड़ी बांधे लोग नजर आ रहे हैं. ये पग बांधने का काम पंजाब से आए मिर फिरि वेलफेयर सोसायटी के सदस्य कर रहे हैं. ये लोग फ्री में आंदोलन में शामिल किसानों को पगड़ी बांध रहे हैं.
प्रदर्शनकारी यूनियनों ने कहा, दो-तीन दिनों में अगला कदम तय करेंगे
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान यूनियनों ने कहा कि वे अपना अगला कदम अगले दो तीन दिनों में तय करेंगे. इस सप्ताह के शुरू में सुप्रीम कोर्ट ने उल्लेखित किया था कि वह गतिरोध के समाधान के लिए कृषि विशेषज्ञों और किसान यूनियनों का एक 'निष्पक्ष और स्वतंत्र' समिति गठित करने पर विचार कर रहा है. किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि रणनीति तय करने के लिए यूनियनों के बीच वर्तमान में चर्चा चल रही है. उन्होंने कहा कि वे इस मामले पर कानूनी राय भी ले रहे हैं.
प्रधानमंत्री ने लोगों से कृषि सुधारों को रेखांकित करती किताब पढ़ने का आग्रह किया
केंद्र सरकार और किसानों के बीच गतिरोध जारी रहने के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को लोगों से कृषि सुधारों को रेखांकित करती अपनी सरकार द्वारा जारी की गई ई-पुस्तिका पढ़ने और उसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का आग्रह किया. सरकार ने अंग्रेजी और हिंदी में ई-पुस्तिका जारी की है जो सितंबर में लागू किए गए सुधारों से फायदा उठाने वाले किसानों की सफलता को रेखांकित करती है.
किसान आंदोलन का 25 वां दिन
किसान संगठनों ने अभी तक के आंदोलन के दौरान शहीद होने वाले किसानों को शहीदों का दर्जा दे दिया है. जिनको श्रद्धांजलि देने के लिए अब दिल्ली के बॉर्डर समेत पंजाब भर में उनके लिए श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित किए जाने का निर्णय किया है. सभी किसान संगठनों के पदाधिकारी अपने अपने गांवों में आज श्रद्धांजलि कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे. इसमें सभी किसान संगठनों के सदस्यों के अलावा ग्राम पंचायत, नंबदार, सामाजिक संगठनों की भी विशेष भागीदारी होगी. श्रद्धांजलि सभा 11 बजे से शुरू होगी.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि बातचीत (किसानों और सरकार के बीच) अगले दो तीन दिनों में हो सकती. उन्होंने कहा "इस मुद्दे (किसान आंदोलन) का समाधान चर्चा के ज़रिए होना चाहिए. मैंने कहा है कि ये मुद्दा जल्द सुलझना चाहिए."
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने केंद्रीय कृषि मंत्री से मुलाकात के बाद कहा, "मैं पंजाब के किसानों से सतलुज यमुना लिंक कनाल मामले को गंभीरता से लेने की अपील करता हूं. हरियाणा के किसानों को सिंचाई की कमी का सामना करना पड़ रहा है. मैं ये मुद्दा उठाया है. हम मांग करते हैं कि सतलुज यमुना लिंक कनाल के काम को पूरा किया जाए."
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी प्रमुख के हनुमान बेनीवाल ने कहा, "निश्चित रूप से तीनों कृषि कानून किसान विरोधी हैं. प्रधानमंत्री और गृह मंत्री जी से हमने अपील भी की है. एनडीए गठबंधन में होने के नाते मैंने पत्र भी लिखा कि अगर आप इन्हें वापिस नहीं लेंगे तो हम एनडीए के समर्थन पर पुनर्विचार करेंगे."
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने दावा किया है कि इन प्रावधानों के खिलाफ जारी आंदोलन में देश के केवल एक-दो फीसद किसान शामिल हैं. उन्होंने कहा, "देश के मात्र एक-दो प्रतिशत किसान इस आंदोलन में शामिल हैं, जिन्हें भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है. आप (नये कृषि कानूनों के विरोधी) पूरे देश के किसानों की आय वृद्धि पर रोक लगाना चाहते हैं, यह उचित नहीं है."
गिरिराज सिंह ने कहा- किसान आंदोलन में देश विरोधी नारे लगाए जा रहे
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भागलपुर के कहलगांव में आयोजित किसान सम्मेलन में शिरकत करने पहुंचे. यहां मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि किसान सम्मेलन में जो किसान है, वही सच्चे और राष्ट्रभक्त किसान हैं. यहां जय किसान और भारत माता की जय होती है. जबकि कथित किसान आंदोलन में देश विरोधी नारे लगाए जा रहे हैं. नए कृषि कानून से किसी भी किसान का कोई नुक़सान नहीं होने वाला है.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैट ने कहा, 'सरकार को बात करनी चाहिए, हम सरकार से बात करने के लिए कहां मना कर रहे हैं. फूड सप्लाई चेन को किसानों ने बंद नहीं किया है और न हमारी बंद करने की योजना है.'
किसानों के मुद्दे पर चिदंबरम ने प्रधानमंत्री मोदी पर बोला हमला
आंदोलनकारी किसानों और केंद्र के बीच जारी गतिरोध के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है. एक बयान में चिदंबरम ने कहा, "प्रधानमंत्री ने एक बार फिर विपक्ष पर 'झूठ फैलाने' का आरोप लगाया है. यहां तीन तथाकथित झूठ हैं जिन पर शायद वह टिप्पणी करना चाहे- किसानों के विरोध का समन्वय करने वाली एआईकेएससीसी ने कहा है कि किसान 900 रुपये प्रति क्विंटल पर धान बेच रहे हैं, हालांकि एमएसपी 1870 रुपये प्रति क्विंटल है. क्या यह झूठ है?"
सोलर पैनल से फोन और ट्रैक्टर की बैटरी चार्ज कर रहे प्रदर्शनकारी
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर डटे प्रदर्शनकारी सोलर पैनल से फोन और ट्रैक्टर की बैटरी चार्ज कर रहे हैं. अमृत सिंह ने बताया, "सोलर प्लेट लेकर आए हैं कि अगर फोन की बैटरी डाउन हो जाएगी तो घर पर बात नहीं हो पाएगी, सरकार क्या सुविधा देगी वो हमारी मांग तो मान नहीं रही."
कृषि बिल के खिलाफ आंदोलन का जवाब देने की रणनीति बना रही भाजपा
उत्तर प्रदेश सरकार और भाजपा संगठन मिलकर नए कृषि बिल के बारे में किसानों को जवाब देने की रणनीति तैयार कर ली है. मुख्यमंत्री योगी ने शुक्रवार को कालीदास मार्ग स्थित अपने आवास पर मंत्रिमंडल और भाजपा संगठन के लोगों के साथ बैठक कर रहे थे। वहां से मिली जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती 25 दिसंबर का दिन इस काम के लिए चुना गया है. उस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों के खाते में सम्मान निधि की राशि ट्रांसफर करेंगे.
किसानों के विरोध प्रदर्शन के दृश्यों को कभी नहीं भूल पाएंगे: सोनू सूद
बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद ने कहा है कि तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों की दुर्दशा देखकर उन्हें बहुत दुख हो रहा है. इसके साथ ही उन्होंने उनकी समस्याओं के समाधान की उम्मीद जतायी. हरियाणा, पंजाब और अन्य राज्यों के हजारों किसान दिल्ली की सीमा पर नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें डर है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली खत्म हो जाएगी और उनपर बड़े कॉर्पोरेट का नियंत्रण हो जाएगा.
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शनकारी आज 24वें दिन भी सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं. एक 80 वर्षीय प्रदर्शनकारी रूमी राम ने बताया, "बहुत मुश्किल हो रही है लेकिन सरकार किसानों के बारे में नहीं सोच रही है."
सीताराम येचुरी ने सरकार से कहा- कृषि क़ानूनों को वापिस लीजिए
CPI-M के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, 'कृषि क्षेत्र में सुधार की जरूरत है. हमने मैनिफेस्टो में जो बातें रखी हैं उसको सरकार ने लागू नहीं किया. सैकड़ों किसान सड़क पर बैठे हैं, क्या वे नहीं समझते उनकी भलाई में क्या है? कृषि क़ानूनों को वापिस लीजिए. ये क़ानून किसान का साथ नहीं देते हैं.'
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा- इस लड़ाई के हम साक्षी बनेंगे
पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र सिंह ने कहा, "मैंने निर्णय लिया है कि इस लड़ाई के हम साक्षी बनेंगे, इस लड़ाई के हम समर्थक बनेंगे. किसान आंदोलन के समर्थन में हम दिल्ली के आस-पास हरियाणा के जिलों में सांकेतिक भूख हड़ताल करेंगे. हम 2 दिशाओं से किसान आंदोलन के समर्थन में छोटूराम विचार मंच की तरफ से यात्राएं शुरू करेंगे ताकि गांवों में इस चीज की जागृति हो कि ये लड़ाई ऐसी नहीं है जिस तरह से इसे दिखाया जा रहा है."
सोलर पैनल से फोन और ट्रैक्टर की बैटरी चार्ज कर रहे प्रदर्शनकारी
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर डटे प्रदर्शनकारी सोलर पैनल से फोन और ट्रैक्टर की बैटरी चार्ज कर रहे हैं. अमृत सिंह ने बताया, "सोलर प्लेट लेकर आए हैं कि अगर फोन की बैटरी डाउन हो जाएगी तो घर पर बात नहीं हो पाएगी, सरकार क्या सुविधा देगी वो हमारी मांग तो मान नहीं रही."
2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, 'MSP पहले भी था, आज भी है और आगे भी रहेगा. पहले से ज्यादा खरीद की गई है और आगे भी की जाएगी. कुछ लोग 2022 को चुनाव के रूप में देख रहे हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी 2022 को किसानों की आय को दोगुना करने के रूप में देख रहे हैं.'
मृतक किसानों के परिवारों के लिए मांगा 1 करोड़ रुपये मुआवजा
किसान कांग्रेस ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनकी सरकार पर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत 22 किसानों की मौत का आरोप लगाया. इसके साथ ही उसने मृतक किसानों के परिवार के सदस्यों को एक करोड़ रुपये मुआवजा देने की मांग भी की है. किसान कांग्रेस के उपाध्यक्ष सुरेंद्र सोलंकी ने प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में कहा, पिछले 23 दिनों से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर ठिठुरती सर्दी में आंदोलनकारी तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- अगर पुरानी सरकारों को चिंता होती तो देश में 100 के करीब बड़े सिंचाई प्रोजेक्ट दशकों तक नहीं लटकते. सोचिए, बांध बनना शुरू हुआ तो पच्चीसों साल तक बन ही रहा है. इसमें भी समय और पैसे, दोनों की जमकर बर्बादी की गई. अब हमारी सरकार हजारों करोड़ रुपए खर्च करके इन सिंचाई परियोजनाओं को मिशन मोड में पूरा करने में जुटी है. हम हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- याद करिए, 7-8 साल पहले यूरिया का क्या हाल था? रात-रात भर किसानों को यूरिया के लिए कतारों में खड़े रहना पड़ता था या नहीं? कई स्थानों पर, यूरिया के लिए किसानों पर लाठीचार्ज की खबरें आती थीं या नहीं? यूरिया की जमकर कालाबाजारी होती थी या नहीं. आज यूरिया की किल्लत की खबरें नहीं आतीं, यूरिया के लिए किसानों को लाठी नहीं खानी पड़तीं. हमने किसानों की इस तकलीफ को दूर करने के लिए पूरी ईमानदारी से काम किया. हमने कालाबाजारी रोकी, सख्त कदम उठाए, भ्रष्टाचार पर नकेल कसी. हमने सुनिश्चित किया कि यूरिया किसान के खेत में ही जाए.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- जितने पैसे ये भेजने की बात करते रहे हैं, उतने पैसे किसानों तक कभी पहुंचते ही नहीं हैं. किसान सोचता था कि अब तो पूरा कर्ज माफ होगा. और बदले में उसे मिलता था बैंकों का नोटिस और गिरफ्तारी का वॉरंट. कर्जमाफी का सबसे बड़ा लाभ किसे मिलता था? इन लोगों के करीबियों को. हमारी सरकार ने जो पीएम-किसान योजना शुरू की है, उसमें हर साल किसानों को लगभग 75 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे. यानि 10 साल में लगभग साढ़े 7 लाख करोड़ रुपए. किसानों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर. कोई लीकेज नहीं, किसी को कोई कमीशन नहीं.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- कांग्रेस ने कर्जमाफी के नाम पर धोखेबाजी की. मध्य प्रदेश में कहा कि 10 दिन में किसानों का कर्ज माफ कर देंगे. कितने किसानों का कर्ज माफ हुआ? राजस्थान के किसान भी कर्जमाफी का इंतजार कर रहे हैं. हर चुनाव से पहले ये लोग कर्जमाफी की बात करते हैं. और कर्जमाफी कितनी होती है? सारे किसान इससे कवर हो जाते है क्या? जो छोटा किसान बैंक नहीं गया, जिसने कर्ज नहीं लिया, उसके बारे में क्या कभी एक बार भी सोचा है इन लोगों ने?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- किसानों की बातें करने वाले लोग कितने निर्दयी हैं इसका बहुत बड़ा सबूत है स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट. रिपोर्ट आई, लेकिन ये लोग स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को आठ साल तक दबाकर बैठे रहे. किसान आंदोलन करते थे, प्रदर्शन करते थे लेकिन इन लोगों के पेट का पानी नहीं हिला. किसानों पर ज्यादा खर्च ना करना पड़े इसलिए इस रिपोर्ट को दबा दो. किसानों के लिए समर्पित हमारी सरकार किसानों को अन्नदाता मानती है. हमने फाइलों के ढेर में फेंक दी गई फाइल को उसे निकाला और उसकी सिफारिशें लागू कीं. किसानों को लागत का डेढ़ गुना मूल्य मिला.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- कृषि सुधार कानून रातों रात नहीं आए हैं, पिछले 20-22 साल ने देश की सरकारों ने और राज्यों ने इस पर व्यापक करचा की है. किसान, एक्सपर्ट और प्रोग्रेसिव किसान भी इस क्षेत्र में सुधार की मांग करते आए हैं. किसानो को उन लोगों से जवाब मांगना चाहिए जो घोषणा पत्र में इन सुधारों की बात करते थे और बड़ी बड़ी बातें करके वोट बटोरते रहे. लेकिन इन मांगों को टालते रहे. किसान उनकी प्राथमिकता नहीं थे. विरोध कर रही पार्टियों के घोषणापत्र देखे जाएं, देश की कृषि संभावने वालों की चिट्ठियां देखी जाएं तो यह सुधार उनसे अलग नहीं हैं. उनकी चिंता इस सुधार नहीं है, उनकी चिंता है कि जो काम हम सिर्फ करने के लिए कहते थे वो काम मोदी ने कैसे कर दिया. मोदी को इसका क्रेडिट कैसे मिल रहा है. मैं उन लोगों से कहना चाहता हूं कि आप क्रेडिट रख लो, मुझे नहीं चाहिए. मुझे किसानों खुशहाली और संवृद्धि चाहिए.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- भारत की कृषि और भारत का किसान और पिछलेपन के साथ नहीं रह सकता. दुनिया के किसानों को जो सुविधा प्राप्त वो भारत के किसानों को भी मिले. इसके लिए और इंतजार नहीं किया जा सकता. तेजी से बदलती दुनिया में भारत का किसान सुविधाओं के अभाव में असहाय होता जाए, यह नहीं हो सकता. जो काम 25-30 साल पहले हो जाने चाहिए थे वो अब हो रहे हैं. छह साल में हमारी सरकार ने एक एक करके कदम उठाए हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- बीते समय में ओले गिरने से एमपी के किसानों का नुकसान हुआ है. इस कार्यक्रम में 35 लाख किसानों के खाते में 1600 करोड़ रुपये भेजे जा रहे हैं. कोई बिचौलिया नहीं कोई कमीशन नहीं और कोई कट नहीं. भारत ने बीते पांच छह सालों में जो आधुनिक व्यवस्था बनाई है उसकी दुनिया में चर्चा हो रही है. इसमें युवाओं का बड़ा योगदान.
किसान नेताओं ने बृहस्पतिवार को कहा कि आगे की रणनीति तय करने से पहले वे कॉलिन गोंजाल्वेस, दुष्यंत दवे और प्रशांत भूषण जैसे वकीलों के साथ विचार-विमर्श करेंगे. गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि विवादित कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए वह कृषि विशेषज्ञों और किसान संगठनों के एक ‘निष्पक्ष और स्वतंत्र’ पैनल का गठन करना चाहता है. आंदोलन कर रहे किसानों ने अहिंसक प्रदर्शन करने के किसानों के अधिकार को स्वीकार करने के न्यायालय के फैसले का स्वागत किया, लेकिन उन्होंने मामले का ठोस हल निकलने तक आंदोलन जारी रखने पर जोर दिया.
राष्ट्रीय किसान मजदूर सभा के नेता अभिमन्यु कोहड़ ने कहा, ‘‘हम शुक्रवार को वरिष्ठ अधिवक्ताओं कॉलिन गोंजाल्वेस, दुष्यंत दवे, एच. एस. फुल्का और प्रशांत भूषण से मिलेंगे और उनकी सलाह लेंगे कि आगे क्या किया जा सकता है.’’ उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (करीब 40 किसान संगठनों का संयुक्त मोर्चा) दिल्ली से सटी विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहा है. किसान नेता ने कहा, ‘‘हमें अभी तक उच्चतम न्यायालय से कोई नोटिस प्राप्त नहीं हुआ है और हम अदालत के आदेश की प्रति प्राप्त होने के बाद ही उसपर टिप्पणी करेंगे.’’
किसान नेताओं ने बृहस्पतिवार को कहा कि आगे की रणनीति तय करने से पहले वे कॉलिन गोंजाल्वेस, दुष्यंत दवे और प्रशांत भूषण जैसे वकीलों के साथ विचार-विमर्श करेंगे. गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि विवादित कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए वह कृषि विशेषज्ञों और किसान संगठनों के एक ‘निष्पक्ष और स्वतंत्र’ पैनल का गठन करना चाहता है. आंदोलन कर रहे किसानों ने अहिंसक प्रदर्शन करने के किसानों के अधिकार को स्वीकार करने के न्यायालय के फैसले का स्वागत किया, लेकिन उन्होंने मामले का ठोस हल निकलने तक आंदोलन जारी रखने पर जोर दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किसानों से कृषि मंत्री की चिट्ठी पढ़ने की अपील की है. प्रधानमंत्री मोदी आज सुबह 11 बजे मध्य प्रदेश के रायसेन में प्रदेश स्तरीय कृषि महासम्मेलन में हिस्सा लेंगे. प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सम्मेलन में किसानों को संबोधित करेंगे. बता दें कि हरियाणा और पंजाब के किसान कानूनों बिल का विरोध कर रहे हैं. वहीं इन कानूनों को लेकर अब यूपी, एमपी में हलचल देखी जा रही है. मंत्रियों से लेकर मुख्यमंत्री तक ने मोर्चा संभाला हुआ है.
इस बीच गुरुवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कल किसानों को आठ पन्नों की एक चिट्ठी लिखी. इस पत्र में किसान बिल की खूबियाँ गिनाई हैं और साथ ही किसान बिल को लेकर फैलाई गयी भ्रांतियाँ भी बताई गयी हैं. कृषि मंत्री ने लिखा है कि जिन लोगों ने 1962 के युद्ध में देश की विचारधारा का विरोध किया था वही लोग किसानों को पर्दे के पीछे से गुमराह कर रहे हैं. आज वो फिर से 1962 की भाषा बोल रहे हैं.
कृषि कानून बिल के खिलाफ दिल्ली के अलग अलग बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का 23वां दिन है. किसान और सरकार दोनों अपने रुख पर कायम हैं. किसानों की मांग है कि सरकार तीनों कानून वापस ले. वहीं सरकार बातचीत कर बीच का रास्ता निकालना चाहती है. सरकार और किसानों के बीच कुल छह दौर की वार्ता भी हो चुकी है लेकिन यह पूरी तरह बेनतीजा रही. किसान जहां आंदोलन को दिनों दिन तेज करते जा रहे हैं तो वहीं सरकार की तरफ से भी किसानों को मनाने की कोशिश जारी है.
सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई पूरी
किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई पूरी हो गई है. कोर्ट ने आगे की सुनवाई पर कुछ स्पष्टता नहीं दी. भारत के मुख्य न्यायधीश ने कहा कि सभी प्रदर्शनकारी किसान संगठनों को नोटिस जाना है और सुझाव दिया है कि इस मामले को शीतकालीन अवकाश के लिए अदालत की अवकाश पीठ के समक्ष रखा जाए.
किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसान पूरे शहर को बंधक नहीं बना सकते. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि हम कानून पर रोक की बात नहीं कह रहे. सिर्फ वार्ता का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं. सभी पक्षों को नोटिस सर्व किया जाए. ज़रूरत पड़ने पर आप लोग वैकेशन बेंच के सामने मामला रखें.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायधीश ने कहा कि दिल्ली को ब्लॉक करने से यहां के लोग भूखे रह सकते हैं. आपका (किसानों) मकसद बात करके पूरा हो सकता है. सिर्फ विरोध प्रदर्शन पर बैठने से कोई फायदा नहीं होगा.
अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट से कहा- किसान जब गांव जाएंगे, तो वहां कोरोना फैलाएंगे
किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि उनमें से कोई भी फेस मास्क नहीं पहनता है, वे बड़ी संख्या में एक साथ बैठते हैं. कोविड-19 एक चिंता का विषय है, वे गांव जाएंगे और वहां कोरोना फैलाएंगे. किसान दूसरों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते.
सुप्रीम कोर्ट से नए कानून पर रोक लगाए जाने की गुहार
किसानों के आंदोलन के मसले पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर पूछे गए एक सवाल पर हरिंदर सिंह ने कहा, "शीर्ष अदालत से हमारी यही गुहार है कि पहले नए कृषि कानूनों पर रोक लगाई जाए, फिर समस्याओं के समाधान निकालने का आदेश दिया जाए." एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा की सरकारों को नोटिस जारी कर किसानों के मसले के समाधान के लिए कमेटी बनाने की बात कही थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- वो फिलहाल कानूनों की वैधता तय नहीं करेगा
तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि वो फिलहाल कानूनों की वैधता तय नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आज हम जो पहली और एकमात्र चीज तय करेंगे, वो किसानों के विरोध प्रदर्शन और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को लेकर है. कानूनों की वैधता का सवाल इंतजार कर सकता है.
दिल्ली आने-जाने के लिए कौन से रास्ते खुले हैं
अब भी हजारों किसान दिल्ली की सीमा पर अपनी मांगों के साथ बैठे हुए हैं. किसान सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बार्डर पर जमे हुए हैं. शहर की पुलिस ने बताया कि सिंघु, औचंदी, प्याऊ मनियारी, सबोली और मंगेश बॉर्डर बंद है. लोगों से लामपुर, सफियाबाद और सिंघू स्कूल टोल टैक्स बार्डर से होकर वैकल्पिक मार्ग पर जाने को कहा गया है. मुकरबा और जीटीके रोड से यातायात मोड़ा गया है. हरियाणा की ओर जाने वाले लोगों को झाडौदा (सिर्फ एक मार्ग), दौराला, कापसहेड़ा, बडूसराय, रजोकरी एनएच-8, बिजवासन/बजघेड़ा, पालम विहार और डूंडाहेड़ा बार्डर से जाने को कहा गया है.
संत रामसिंह ने निधन पर हरियाणा के मुख्यमंत्री ने जताया दुख
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, "संत बाबा रामसिंह जी का निधन संत समाज, देश, राज्य और मेरे लिए अपूरणीय क्षति है. यह अत्यंत दुख का क्षण है, बाबा जी की आत्मा, परमात्मा में विलीन हो. हम उनके दिखाए मानव-कल्याण के मार्ग पर चलने को संकल्पित हैं, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी."
किसानों को साल में 55 हजार रुपए की अतिरिक्त आमदनी
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, 'ग्रामीण इकनॉमी को बल मिले और किसानों को अतिरिक्त आमदनी हो इसलिए खादी एंड विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन के माध्यम से हम जल्द ही गाय के गोबर से बना 'वैदिक पेन्ट' लॅान्च करने वाले हैं. इससे पशुधन रखने वाले किसानों को साल में 55 हजार रुपए की अतिरिक्त आमदनी होगी.'
धान की सरकारी खरीद 22% बढ़कर 390.79 लाख टन हुई
चालू खरीफ विपणन सत्र में अभी तक धान की खरीद 22 फीसदी बढ़कर 390.79 लाख टन हो गया है. इसका मूल्य 73,783.36 करोड़ रुपये है. खरीफ विपणन सत्र अक्टूबर से शुरू होता है. धान की खरीद में पंजाब ने 202.77 लाख टन का योगदान किया है. एक सरकारी बयान में कहा गया है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड, तमिलनाडु, चंडीगढ़, जम्मू और कश्मीर, केरल, गुजरात, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार में धान की खरीद सुचारू रूप से जारी है.
आत्महत्या करने वाले किसानों की पत्नियां पंजाब से दिल्ली बॉर्डर पहुंची
कर्ज की वजह से आत्महत्या करने वाले पंजाब के कई किसानों की पत्नी, बहन और मांए भी अब दिल्ली बॉर्डर पर पहुंच गई हैं. भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहण) की उपाध्यक्ष हरिदंर कौर बिंदू ने बताया, "करीब 700-800 महिलाएं जिनके परिवार के सदस्यों ने कृषि ऋण की वजह से आत्महत्या की थी, प्रदर्शन में शामिल हुईं. ये महिलाएं मनसा, बठिंडा, पटियाला और संगरूर सहित पंजाब के विभिन्न जिलों से आई हैं."
बढ़ती ठंड से बचने के लिए लगाए गैस हीटर
सिंघु बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बढ़ती ठंड से बचने के लिए गैस हीटर लगाए हैं. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "लोग लकड़ी जलाकर अपना काम चला रहे हैं. किसान नेताओं ने कुछ हीटर मंगाए हैं लेकिन ये गैस से चलते हैं, इनमें खर्चा है."
किसान नेता ने कहा- कोर्ट से नहीं मिला कोई नोटिस
कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. सुप्रीम कोर्ट में आज किसानों को बॉर्डर से हटाने की याचिका पर सुनवाई होनी है. भारतीय किसान यूनियन दोआबा के प्रदेश अध्यक्ष मंजीत सिंह ने बताया, "अभी तक हमें सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कोई नोटिस नहीं आया है."
स्वराज इंडिया के नेता योगेन्द्र यादव ने ट्विटर पर कहा है, ‘‘उच्चतम न्यायालय तीनों कृषि कानूनों की संवैधानिकता तय कर सकता है और उसे ऐसा करना चाहिए. लेकिन इन कानूनों की व्यवहार्यता और वांछनीयता को न्यायपालिका तय नहीं कर सकती है. यह किसानों और उनके निर्वाचित नेताओं के बीच की बात है. न्यायालय की निगरानी में वार्ता गलत रास्ता होगा.’’
दर्शन कर रहे किसान यूनियनों का कहना है कि नए कृषि कानूनों पर समझौते के लिए नए पैनल का गठन कोई समाधान नहीं है, क्योंकि उनकी मांग कानूनों को पूरी तरह वापस लेने की है. उन्होंने यह भी कहा कि संसद द्वारा कानून बनाए जाने से पहले सरकार को किसानों और अन्य की समिति बनानी चाहिए थी. आंदोलन में शामिल 40 किसान संगठनों में से एक राष्ट्रीय किसान मजदूर सभा के नेता अभिमन्यु कोहर ने कहा कि उन्होंने हाल ही में ऐसे पैनल के गठन के सरकार की पेशकश को ठुकराया है.
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को संकेत दिया कि कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों और सरकार के बीच व्याप्त गतिरोध दूर करने के लिये वह एक समिति गठित कर सकता है क्योंकि ‘‘यह जल्द ही एक राष्ट्रीय मुद्दा बन सकता है.’’ उधर, सरकार की से बातचीत का नेतृत्व कर रहे केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि दिल्ली के बॉर्डर पर जारी आंदोलन सिर्फ एक राज्य तक सीमित है और पंजाब के किसानों को विपक्ष ‘गुमराह’ कर रहा है. हालांकि, उन्होंने आशा जतायी कि इस गतिरोध का जल्दी ही समाधान निकलेगा.
बैकग्राउंड
नई दिल्ली: कृषि कानून बिल के खिलाफ दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का 25वां दिन है. किसान और सरकार दोनों अपने रुख पर कायम हैं. किसानों की मांग है कि सरकार तीनों कानून वापस ले. वहीं सरकार बातचीत कर बीच का रास्ता निकालना चाहती है. सरकार और किसानों के बीच कुल छह दौर की वार्ता भी हो चुकी है लेकिन यह पूरी तरह बेनतीजा रही. किसान जहां आंदोलन को दिनों दिन तेज करते जा रहे हैं तो वहीं सरकार की तरफ से भी किसानों को मनाने की कोशिश जारी है.
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, (एआईकेएससीसी) ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नाम एक खुला पत्र लिखकर किसानों के विरोध-प्रदर्शन को लेकर सरकार की ओर से लगाए तमाम आरोपों का खंडन किया है. किसान संगठन (एआईकेएससीसी) ने पत्र में प्रधानमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री को संबोधित पत्र में लिखा है- "बड़े खेद के साथ आपसे कहना पड़ रहा है कि किसानो ंकी मांगों को हल करने का दावा करते-करते, जो हमला दो दिनों से आपने किसानों की मांगों व आंदोलन पर करना शुरू कर दिया है वह दिखाता है कि आपको किसानों से कोई सहानुभूति नहीं है और आप उनकी समस्याओं का हल करने का इरादा शायद बदल चुके हैं. निस्संदेह, आपके द्वारा कही गईं सभी बातें तथ्यहीन हैं."
पत्र में आगे लिखा है- "उससे भी ज्यादा गंभीर बात यह है कि जो बातें आपने कही हैं, वे देश व समाज में किसानों की जायज मांगें, जो सिलसिलेवार ढंग से पिछले छह महीनों से आपके समक्ष लिखित रूप से रखी जाती रही हैं, देशभर में किए जा रहे शांतिपूर्ण आंदोलन के प्रति अविश्वास की स्थिति पैदा कर सकती है. इसी कारण से हम बाध्य हैं कि आपको इस खुले पत्र के द्वारा अपनी प्रतिक्रिया भेजें, ताकि आप इस पर बिना किसी पूर्वाग्रह के गौर कर सकें."